रायपुर. हाईकोर्ट द्वारा तेंदूपत्ता संग्रहण के टेंडर में गड़बड़ी के मामले की जनहित याचिका खारिज कर दिया है. जिस पर प्रतिक्रिया देते हुए वन मंत्री महेश गागड़ा ने कहा है कि तेंदूपत्ता संग्रहण में सरकार द्वारा किसी तरह की लापवाही नहीं बरती गई है. यह सब कांग्रेस का राजनीतिक स्टंट है. गागड़ा ने कहा है कि कांग्रेस चाहती है कि तेंदूपत्ता बीनने वाले आदिवासीयों को उचित दाम न मिल सके. लेकिन आज कोर्ट के आये इस फैसले ने ‘दूध का दूध और पानी का पानी’ कर दिया है. गागड़ा ने कहा की तेंदूपत्ता संग्रहण को लेकर सरकार की निति स्पष्ट है जो की जन हित में है.

बता दें कि तेंदूपत्ता संग्रहण के टेंडर में गड़बड़ी की जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने खरिज कर दिया है. कोर्ट के इस फैसला के बाद राज्य सरकार को राहत की सांस ली है.

गौरतलब है कि संत कुमार नेताम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी. याचिका में कहा गया है कि सरकार ने पिछले साल की तुलना में 51 फीसदी कम कीमत में तेंदूपत्ता संग्रहण का ठेका दिया है. ऐसा करने से प्रदेश के 10 लाख किसानों को करीब 300 करोड़ का नुकसान हो सकता है. साथ ही आदिवासी किसानों को मेहनताना, बोनस और मिलने वाली अन्य बुनियादी सुविधाओं में कमी हो जाएगी.

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