रेणु अग्रवाल, धार। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले 358 टन जहरीले कचरे से बनी 899 टन राख के निष्पादन को लेकर राज्य सरकार को कड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस राख को ऐसी जगह ले जाने का आदेश दिया है, जहाँ न मानव बस्ती हो, न पेड़-पौधे और न ही जलस्रोत। धार के पीथमपुर TSDF प्लांट में इस कचरे को जलाकर राख बनाई गई थी, लेकिन कोर्ट ने सरकार के अब तक के कदमों को अपर्याप्त बताया और वैकल्पिक स्थल की तलाश के लिए रिपोर्ट माँगी है। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद लेने पर भी जवाब तलब किया है।
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याचिका में सामने आया कि राख में पारे की मात्रा तय सीमा से अधिक है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि प्राकृतिक आपदा में राख रखने का ढांचा टूटने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। सरकार द्वारा पेश एनिमेटेड वीडियो से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। इस मामले की अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी। पीथमपुर बचाव समिति ने इस फैसले को जनता की जीत करार दिया है।
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समिति के हेमंत हीरोले ने कहा, “यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर लाया गया था, जिसका हमने लगातार विरोध किया। जलाने के बाद बनी 900 टन राख में मरकरी जैसे जहरीले तत्व हैं। हमने कोर्ट में मांग की कि इसे यहाँ बंकर में रखना सुरक्षित नहीं है, क्योंकि भूकंप जैसी आपदा से इंदौर, धार और मऊ का क्षेत्र प्रदूषित हो सकता है। यह कैंसरकारी है। कोर्ट ने हमारी बात सुनी और सरकार को वैकल्पिक स्थल ढूँढने का आदेश दिया। यह पीथमपुर की जनता की जीत है।”
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