कुमार इंदर,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस ओबीसी/एससी/एसटी वर्ग के आरक्षकों को उनकी च्वॉाइस के हिसाब से ज्वाइनिंग देने के आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने डीजीपी और एडीजी प्रशासनिक को दो महीने के अंदर ज्वाइन कराने के आदेश दिए है। दरअसल जावनों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका में दाख़िल की गई थी कि, उन्हें मेरिट में आने के बाद भी च्वॉाइस के हिसाब से ज्वाइनिंग नहीं दी गई। जिस पर सुनवाई करते हुए, डॉयरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस तथा एडीजी (प्रशासनिक) को हाईकोर्ट द्वारा 2 महीने के अंदर च्वॉाइस के आधार पर पदस्थापना देने के आदेश दिए है।
ये है पूरा मामला
दरअसल साल 2016 की पुलिस भर्ती में SC/ST और OBC के अभ्यर्थी मेरिट में टॉप पर होने पर भी उनका चयन अनारक्षित(ओपन) वर्ग में किया गया था, लेकिन उनको उनकी पसंद च्वॉाइस फिलिंग के आधार पर पोस्टिंग नहीं दी जाकर उन सभी आरक्षित वर्ग के जो अनारक्षित वर्ग में चयनित हुए थे उन सभी को प्रदेश की समस्त SAF बटालियनों में पदथापना दे दी गई। जबकि उनसे कम मेरिट वाले अभ्यर्थियों को जिला पुलिस बल,स्पेशल ब्रांच,क्राइम ब्रांच आदि शाखाओं में पदस्थापना दी गई है। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने आरक्षित वर्ग के आरक्षकों की ओर से मध्यप्रदेश उच्च में याचिका दायर की गई थी। याचिका की प्रारंभिक सुनवाई दिनांक 20 मई 22 को जस्टिस मनिन्दर भट्टी की बैंच द्वारा की गई।
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अधिवक्ता ठाकुर ने कोर्ट को बताया कि पुलिस विभाग द्वारा साल 2016 की भर्ती में अपनाई गई प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश एवं फैसलो से असंगत है। सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की बैंच द्वारा इंद्रा शाहनी बनाम भारत संघ एवं भारत संघ बनाम रमेश राम, रीतेश आर शाह जैसे दर्जनों फैसलों से कोर्ट को अवगत कराया गया। साथ ही कोर्ट को बताया कि आरक्षित वर्ग के मेरिटोरियस अभ्यर्थी को अपनी पसंद के पद पर ज्वाइनिंग का विधिक अधिकार है। इसी आधार पर याचिकाकर्ताओं ने अपनी पहली पसंद की वरीयता में जिला पुलिस बल, स्पेशल ब्रांच आदि भरी थी, लेकिन पुलिस विभाग ने मनमाने रूप से पदस्थापना कर दी गई, जबकि याचिकाकर्ताओं से कम अंक हासिल करने वालों को महवपूर्ण शाखाओं में पदस्थापना दे दी गई। जबकि याचिकाकर्ताओं को उनकी कैटेगिरी में उनकी पसंद के आधार पर पदस्थापना की जाना चाहिए थी।
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