कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश का बहुचर्चित फर्जी नर्सिंग कॉलेज मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि जीएमएन (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाईफरी) का रिजल्ट घोषित करने के लिए राज्य सरकार स्वतंत्र है। परीक्षा परिणाम हाईकोर्ट के फैसले के अधीन रहेंगे। मामला लंबित होने के कारण मध्यप्रदेश में 61 हजार नर्सिंग छात्रों का रिजल्ट रुका हुआ था।
जबलपुर हाईकोर्ट में जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल की बेंच में मामले में सुनवाई हुई है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने रिजल्ट जारी करने की मांग की थी। लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की जनहित याचिका के साथ लगभग 50 मामलों की सुनवाई हुई है। पिछली सुनवाई में सीबीआई ने 308 कॉलेज की जांच रिपोर्ट पेश की थी। 396 नर्सिंग कॉलेज की सीबीआई जांच कर रही है बाकी के कॉलेज की रिपोर्ट पेश करना बाकी है। सीबीआई द्वारा जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई के लिए एक विशेष समिति के गठन पर भी विचार होना है।
यह था मामला
दरअसल नर्सिंग कॉलेज की मान्यता में हुए फर्जीवाड़े को लेकर ला स्टूडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की ओर से याचिका दायर की गई है। याचिका में शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी। मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन कौंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलेजों की मान्यता दी थी। वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारित मापदण्ड पूरा करता है। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
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