अक्सर लोग बड़ी यानी SUV कारें ही खरीदना पसंद करते हैं. कार में शान से चलते हैं, लेकिन SUV कारों को सड़क सुरक्षा और पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है. इसके साथ ही मांग भी हो रही है कि SUV करों की बिक्री को कम करने के उपाय होने चाहिए. ऐसा क्यों है, इसका जवाब ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (Global NCAP) के एक शीर्ष अधिकारी ने दिया है. Read More –Car Airbags : हादसे के बाद इस वजह से नहीं खुलते एयरबैग, जानिए कैसे आपकी गलती से जा सकती है जान ?
सरकार ने सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए अधिकतम कदम उठाए
खबर के मुताबिक, ग्लोबल न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम के एक बड़े अधिकारी ने मंगलवार को यह बात कही. इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन (आईआरटीई) की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में ग्लोबल एनसीएपी के कार्यकारी अध्यक्ष डेविड वार्ड ने कहा कि भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए अधिकतम कदम उठाए हैं, जिसमें ग्लोबल एनसीएपी के साथ पार्टनरशिप के साथ भारत एनसीएपी का विकास भी शामिल है.
ग्लोबल एनसीएपी के कार्यकारी अध्यक्ष डेविड वार्ड का कहना है, “विभिन्न देशों में हाल के अध्ययनों से पता चला है कि कार उद्योग का हर सेगमेंट में बड़ी और भारी एसयूवी बेचने का निरंतर प्रयास सड़क सुरक्षा के लिए बुरी खबर है. खासतौर से छोटे, ज्यादा कुशल वाहन चलाने वालों और कमजोर सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए. भारत जैसे देशों के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण है कि सरकार बाजार को ऐसे वाहनों की ओर धकेले जो सभी सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए उपयुक्त और सुरक्षित हों.”
वह सड़क यातायात शिक्षा संस्थान (आईआरटीई) की ओर से मंत्रालय की साझेदारी में आयोजित तीन दिवसीय “ग्लोबल रोड सेफ्टी इनिशिएटिव’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. यह कार्यक्रम सड़क परिवहन और राजमार्ग, भारत सरकार और एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (UNESCAP) और यूरोप के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक आयोग (UNECE) के सहयोग से आयोजित किया गया.
वार्ड के अनुसार, इससे कुछ जोखिम वाले सड़कों पर वाहन में सवार लोगों के लिए घातक चोटों का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि उनसे टकराने वाले वाहन की बोनट की ऊंचाई बढ़ जाती है.
उन्होंने कहा, ‘‘भारत और अन्य देशों में एसयूवी की बढ़ती वृद्धि और मांग-एक बड़ी सड़क सुरक्षा और पर्यावरण चुनौती है, सरकारों को इन बड़े वाहनों की बिक्री को हतोत्साहित करना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में कारें भारी, लंबी और अधिक शक्तिशाली हो गई हैं.
उदाहरण के लिए, किसी पैदल यात्री या साइकिल चालक को 90 सेमी ऊंचे बोनट वाली कार से टक्कर लगने पर 10 सेमी ऊंचे बोनट वाले वाहन से टकराने की तुलना में घातक चोट लगने का जोखिम 30 प्रतिशत अधिक होता है.
उन्होंने कहा कि बड़ा वाहन अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए गंभीर चोट के जोखिम को मध्यम आकार की एसयूवी की तुलना में लगभग एक-तिहाई अधिक बढ़ा दिया है.
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