बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बस्तर के बस संचालकों के पक्ष में एक अहम फैसले दिया है. हाई कोर्ट ने परिवहन विभाग की रिट याचिकाओं को खारिज करते हुए 7 दिनों के भीतर बस संचालकों को परमिट जारी करने का आदेश दिया है. कार्रवाई नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों की सेवा पुस्तिका में प्रकरण दर्ज करने कहा है.

जानकारी के अनुसार, जगदलपुर निवासी मीनू मिश्रा, आनंद मिश्रा, संदीप मिश्रा, अनूप तिवारी के साथ करीबन 50 से अधिक बस संचालकों को 19 दिसंबर 2019 को तत्कालीन क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार ने जगदलपुर से अनेक स्थानों के लिए स्थायी अनुज्ञा पत्र जारी किया था.

दिसंबर 2019 को परिवहन विभाग ने अपने एक अधिसूचना के माध्यम से रायपुर में क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार का गठन करते हुए संपूर्ण छत्तीसगढ़ के लिए एकमात्र प्राधिकार सौंप दिया. प्राधिकार की ओर से जगदलपुर के छह बस संचालकों को छोड़कर अन्य सभी को स्थाई अनुज्ञा पत्र जारी कर दिया गया.

इस संबंध में प्रभावित बस संचालकों ने 13 सितंबर 2021 को पृथक-पृथक आवेदन पत्र प्रस्तुत कर स्थायी अनुज्ञा पत्र जारी करने का निवेदन किया, लेकिन संयुक्त सचिव, क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार गोपीचंद मेश्राम ने स्थायी अनुज्ञा पत्र जारी किये जाने से इंकार कर दिया. इस पर राज्य परिवहन अपीलीय अधिकरण में मामला प्रस्तुत किया गया.

सुनवाई के दरमियान क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकार टोपेश्वर वर्मा व संयुक्त सचिव गोपीचंद मेश्राम ने स्वीकार किया कि स्थायी अनुज्ञा पत्र जारी किये जाने में कोई रोक, स्थगन या वैधानिक बाधा नहीं है. इस पर 29 जनवरी 22 को न्यायालय ने अपील स्वीकार करते हुए 7 दिनों के अंदर स्वीकृत अनुज्ञा पत्र जारी करने के लिए आदेशित किया था.

प्राधिकार ने आदेश के विरुद्ध प्राधिकार की ओर से 8 पृथक-पृथक रिट अपील हाई कोर्ट में दायर की गई. प्रकरण में उच्च न्यायालय के युगल पीठ में जस्टिस न्यायमूर्ति गौतम भादुडी व न्यायमूर्ति दीपक कुमार तिवारी ने सुनवाई करते हुए परिवहन विभाग की कार्य प्रणाली भारी नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार की समस्त 8 रिट अपील को खारिज कर 7 दिवस के भीतर बस्तर के बस संचालकों को परमिट जारी करने आदेशित किया. इसके साथ ही ऐसा नहीं करने पर संबंधित अधिकारियों की सेवा पुस्तिका में प्रकरण को दर्ज करने बाबत् आदेशित किया गया है.

हाई कोर्ट के इस फैसले से बस्तर के छह बस ऑपरेटरों में बस परमिट हासिल करने की उम्मीद जगी है. इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता राघवेन्द्र प्रधान व बस्तर के बस संचालकों की ओर से अधिवक्ता शिवेश सिंह, अजय श्रीवास्तव व भरतलाल डेम्ब्रा द्वारा पैरवी की गई.

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