शैलेन्द्र पाठक,बिलासपुर- हाईकोर्ट में आज जेल में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों के मामले पर सुनवाई हुई. राज्य शासन के आग्रह पर जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस गौतम भादुड़ी की युगलपीठ ने इन बंदियों और कैदियों की पैरोल व जमानत की अवधि बढ़ाने पर अपनी सहमति दे दी है.हाईकोर्ट ने कैदियों और विचाराधीन बंदियों के पैरोल और जमानत की अवधि को 31 मई तक बढ़ाने के निर्देश दिये हैं.
गौरतलब है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने की दिशा में सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश जारी कर जेलों में बंदियों और विचाराधीन कैदियों की संख्या कम करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर राज्य सरकारों ने हाईपावर कमेटी बनाकर ऐसे लोगों को जमानत पर रिहा किया था जो विचाराधीन बंदी है.साथ ही सात साल से कम सजा वाले कैदियों को भी पैरोल पर छोड़ने का निर्णय लिया गया था. इसके तहत छत्तीसगढ़ में 30 अप्रेल की अवधि तक सैकड़ों बंदियों और कैदियों को पैरोल और जमानत पर रिहा किया गया था.
14 अप्रेल के बाद लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने के बाद बंदियों और कैदियों के संबंध में हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी,जिसमें यह कहा गया था कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाये जाने के बाद जमानत और पैरोल की अवधि बढ़ाये जाने पर भी विचार किया जाये.आज इस संबंध में हुई सुुनवाई के दौरान राज्य शासन ने आग्रह किया कि यदि 30 अप्रेल की अवधि का पालन किया जाता है,तो जमानत या पैरोल पर छोड़े गये बंदियों को 30 अप्रेल तक फिर से जेल में दाखिल करना होगा और ऐसी स्थिति में जेल में भीड़ बढ़ने से एक बार फिर कोविड 19 के संक्रमण का खतरा बढ़ जायेगा. राज्य शासन के इस आग्रह पर हाईकोर्ट ने अपनी सहमति जताई और कोरोना संक्रमण को रोकने के उपाय के तौर पर जमानत और पैरोल की अवधि 31 मई तक बढ़ाये जाने का आदेश पारित किया.