बिलासपुर। हाईकोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की जाति पर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. सुनवाई में कोर्ट ने समीरा पैकरा को पक्षकार बनाने की अपील ठुकरा दी लेकिन राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंदकुमार साय और संतकुमार नेताम को पक्षकार बनाया है. नंदकुमार साय ने व्यक्तिगत तौर पर भी पक्षकार बनने की अपील की थी जिसे अस्वीकार कर दिया.  अजीत जोगी ने अपनी याचिका में केवल राज्य सरकार को पक्षकार बनाया था.

मंगलवार की सुनवाई की जानकारी देते हुए नंदकुमार साय की वकील रक्षा अवस्थी और मनोनीत वरिष्ठ अधिवक्ता उपेंद्रनाथ अवस्थी ने बताया कि मंगलवार की सुनवाई में अजीत जोगी के वकील ब्रायन डिसिल्वा और राहुल त्यागी ने अपनी दलीलें रखीं. वरिष्ठ अधिवक्ता उपेंद्र नाथ अवस्थी ने बताया कि जोगी के वकीलों ने कहा कि विजिलेंस की जांच उनके हक में है. इसलिए हाईपावर कमेटी ने दो साल तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. लिहाज़ा अब उनके खिलाफ कोई आदेश नहीं दिया जा सकता. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक इसका फैसला दो महीने में आ जाना चाहिए था.

इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता अवस्थी ने आपत्ति जताई और कहा कि विजिलेंस ने जोगी के स्कूल और राजस्व रिकार्ड की जांच की थी जिसे जोगी के खिलाफ पाया है. उन्होंने कहा कि कानूनी रुप से जोगी की जाति के संबंध में राजस्व और शैक्षिक रिकार्ड मौजूद है इसलिए ग्रामसभा का फैसला उनके केस में लागू नहीं होता. जांच में ये भी पाया है कि जोगी जिस ग्राम सभा का हवाला दे रहे हैं वो नियमत: ग्राम सभा की बैठक नहीं थी. उन्होंने कहा कि वे कोर्ट में विजिलेंस की ये रिपोर्ट पेश कर देंगे.

इस मामले में सुबह करीब 12 बजे से लेकर शाम 4 बजे सुनवाई हुई. इस पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.