लखनऊ. इन दिनों छोटे-छोटे बच्चों पर किस कदर प्रेशर औऱ दबाव है. इसका नमूना उस वक्त देखने को मिला जब सिर्फ क्लास वन के एक नन्हे मुन्ने बच्चे को स्कूल में एडमिशन के लिए लंबे चौड़े एग्जाम से गुजरना पड़ा. हद तो तब हो गई जब सबकुछ सही होने के बाद भी उसको एंट्रेंस एग्जाम में फेल कर दिया गया. बच्चे के परिजन स्कूल के फैसले के खिलाफ कोर्ट पहुंचे जहां कोर्ट ने जमकर स्कूल प्रशासन को फटकार लगाई.

दरअसल, मामला उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का है. यहां मशहूर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से संबद्ध एबीके हाईस्कूल में क्लास वन में एडमिशन के लिए स्कूल ने एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन किया. जहां बच्चे ने एंट्रेंस टेस्ट पास कर लिया लेकिन उसको छह सदस्यों की इंटरव्यू टीम ने फेल कर दिया. इस फैसले के खिलाफ कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई. कार्ट ने स्कूल मैनेजमेंट को फटकारते हुए कहा कि छोटे से बच्चे को क्लास वन में एडमिशन देने के लिए एंट्रेंस टेस्ट और इंटरव्यू में 40 परसेंट अंक लाने का नियम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि इंटरव्यू में लिखित परीक्षा के अंक के सिर्फ 15 फीसदी अंक ही अधिकतम रखे जा सकते हैं. कोर्ट ने स्कूल प्रशासन को जमकर लताड़ लगाते हुए कहा कि स्कूलों को इस तरह की मनमानी करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. फिलहाल कोर्ट के आदेश के बाद जहां स्कूल प्रशासन अपने नियम बदलने में लग गया है वहीं इतने छोटे बच्चों के साथ स्कूलों का ये बर्ताव देश में शिक्षा व्यवस्था की हालत खुद बयां कर रहा है. जहां नौनिहाल बचपन से ही किस कदर दबाव औऱ तनाव में स्कूलों द्वारा धकेले जा रहे हैं.