दिल्ली. समाजवादी पार्टी सुप्रिमो और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हिंडेनबर्ग के खुलासे को लेकर बयान जारी किया है. उन्होंने सेबी की जांच की मांग की है. उन्होंने X पर इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने लिखा है कि “SEBI की ऐतिहासिक जांच होनी चाहिए क्योंकि सेबी का इतिहास ही ऐसा रहा है कि वो कभी सही मायनों में निवेशकों का सरंक्षक व सहारा नहीं बना. भारत के बाज़ार में निवेश के प्रति सुरक्षा की भावना जगाने के लिए SEBI की प्रतिष्ठा की पुनर्स्थापना केवल एक निष्पक्ष जांच ही कर सकती है. SEBI प्रकरण की गहन-जांच भारत की अर्थव्यवस्था की अपरिहार्यता है”.
क्या कहती है नई रिपोर्ट ?
अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि सेबी की चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति धवल बुच के पास अडानी समूह के कथित वित्तीय कदाचार से जुड़ी ऑफशोर एंटिटी में हिस्सेदारी है. व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि ये संस्थाएं गौतम के बड़े भाई विनोद अडानी की ओर से रुपयों की हेराफेरी करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नेटवर्क का हिस्सा थीं. रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2017 से मार्च 2022 तक बुच की अगोरा पार्टनर्स नामक एक ऑफशोर सिंगापुर की कंसल्टिंग फर्म में 100 फीसदी हिस्सेदारी थी. 16 मार्च, 2022 को सेबी चेयरपर्सन के रूप में उनकी नियुक्ति के दो सप्ताह बाद उन्होंने चुपचाप अपने पति को शेयर ट्रांसफर कर दिए. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अडानी समूह के खिलाफ जांच करने में सेबी की “निष्पक्षता” “संभावित हितों के टकराव” के कारण ‘संदिग्ध’ है.
2023 में अडानी ग्रुप पर आई थी चौंकाने वाली रिपोर्ट
बता दें कि जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अरबपति गौतम अडानी द्वारा नियंत्रित अडानी ग्रुप को टारगेट करते हुए एक चौंकाने वाली रिपोर्ट जारी की थी. इसके बाद अडानी समूह के शेयरों में करीब $86 बिलियन की गिरावट आ गई थी. शेयर की कीमत में इस भारी गिरावट ने बाद में समूह के विदेश में सूचीबद्ध बॉन्ड में भारी बिक्री दर्ज की गई थी. साथ ही सेबी ने भी हिंडनबर्ग को नोटिस जारी किया था.
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