रायपुर- पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में 14 सिंतबर को हिंदी दिवस मनाया गया. साहित्य एवं भाषा अध्ययनशाला में प्राध्यापकों और छात्रों ने हिंदी की ताकत और उनकी चुनौतियों पर चर्चा की.
विभागाध्यक्ष डॉ. केशरीलाल वर्मा ने कहा कि आज हिंदी विश्व पटल स्थापित भाषा है. फिर भी हिंदी के सामने कई चुनौतियां है. हिंदी का दायरा बाजार की दुनिया में बहुत तेजी से बढ़ते जा रहा है. लेकिन समस्या ये कि हिंदी में अंग्रेजी भाषा के साथ अन्य भाषाओं का मिश्रण हिंदी की भाषाई शुद्धता के लिए नुकसानदेह है.
हिंदी के लिए अभी भी प्रचार-प्रसार की जरूरत है. हिंदी में आज आधुनिक साहित्य के साथ युवा वर्ग को जोड़ने की आवश्यकता है. लेकिन हमारे लिए गर्व की बात ये है कि गैर हिंदी प्रान्तों आज हिंदी भाषा के बहुत अच्छा काम हो रहा है. दक्षिण भारत में हिंदी बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है.दक्षिण भाषा प्रचार समिति बेहतर तरीके से गैर हिंदी भाषी क्षेत्र में काम कर रही है. बाजारवाद के इस युग में हिंदी की ताकत बढ़ी है.
हिंदी दिवस के इस कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक डॉ. मधुलता बारा सहित अन्य शिक्षकों और छात्रों ने भी अपनी बात कही.
डॉ. मधुलता बारा ने कहा कि अंग्रेजी को छोड़ दे तो चीनी के बाद हिंदी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है. हिंदी भाषा की ताकत उसकी उप बोलियां है. आज विदेशों में हिंदी ही नहीं हिंदी की उपबोलियाँ धूम मचा रही है.
छात्रों ने हिंदी की चुनौतियां पर कहा कि आज भी हिंदी रोजागर की भाषा नहीं है. हिंदी पर शोध करने वाली की कमी है. हिंदी विषयों की कक्षाएं कम होते जा रही है. हिंदी स्कूल बंद होते जा रहे हैं, अंग्रेजी आज भी समाज के भीतर हावी है. सभी ने संकल्प ने लिया कि हिंदी को विश्व की प्रथम भाषा बनाएंगे.