कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। हिंदी देश ही नहीं दुनियाभर में बोली और पहचाने जाने वाली भाषा है. देश में लोग हिंदी को मातृ भाषा कहते है, तो वहीं ग्वालियर में तो हिंदी को देवी के रूप में पूजा जाता है. वैसे तो इस मंदिर पर रोज ही श्रद्धालु आते हैं, लेकिन 14 सितंबर हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी माता मंदिर में हिंदी माता की मंत्रोच्चार से विशेष पूजा अर्चना की जाती है. यहां आने वाले भक्त हिंदी के प्रति अपनी निष्ठा प्रकट करते हैं.
शहर की सत्यनारायण टेकरी पर हिंदी माता मंदिर स्थापित है. मंदिर को लगभग 26 साल पहले एक वकील ने स्थापित किया था. हिंदी माता मंदिर में पुजारी प्रतिदिन उनकी विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन हिंदी दिवस के दिन यहां विशेष पूजा अर्चना की जाती है. श्रद्धालु हिंदी माता की आरती और जयकारा लगाते हुए नजर आते हैं. हिंदी हिंदुस्तान की मातृभाषा है. पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई भी हिंदी भाषा के लिए विशेष प्रेम रखते थे. यही वजह है कि उनके शहर में हिंदी को देवी तुल्य पूज्य माना गया है. हिंदी माता की रोजाना सुबह-शाम आरती की जाती है और उनके जयकारे लगाए जाते हैं.
स्थानीय लोग मातृभाषा हिंदी को लेकर मानते हैं कि हिंदी आज विश्व स्तर पर स्थापित हो चुकी है. वह भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेई से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को इसके लिए धन्यवाद देते हैं. हिंदी वैश्विक स्तर पर और ज्यादा पहचानी समझी जाने लगी है.
शहर के सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का भी कहना है कि देश का इकलौता हिंदी माता का मंदिर ग्वालियर में बना हुआ है. ऐसे में इसे राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए वह प्रयास करेंगे. साथ ही उनका यह भी कहना है कि लोग अब हिंदी को अपनाने में लोग अपनी रुचि दिखा रहे हैं. यही कारण है कि लोग अब इसे अपनी आवश्यकता भी समझने लगे हैं.
वर्तमान में देखा जा रहा है कि मेडिकल से लेकर अन्य शिक्षा क्षेत्र में भी हिंदी अपना स्थान बना चुकी है. सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का यह भी मानना है कि सरकार के अकेले प्रयास से काम नहीं चलने वाला है. समाज के सभी लोग जो अलग-अलग क्षेत्रों में काम करते हैं, उन्हें भी हिंदी को अपने कार्य क्षेत्र में अपनाना होगा.
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