महाराष्ट्र और गुजरात दिवस के अवसर पर दोनों राज्यों में उत्साहपूर्वक समारोह आयोजित किए गए. महाराष्ट्र दिवस के संदर्भ में उत्तर भारतीय संघ ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें जरूरतमंद महिलाओं को सिलाई मशीनें प्रदान की गईं. यह पहल महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है. कार्यक्रम की शुरुआत आयोजकों और उत्तर भारतीय नेताओं द्वारा मराठी भाषा में संबोधन के साथ हुई. उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष संतोष आरएन सिंह ने बताया कि उनका उद्देश्य केवल सहायता प्रदान करना नहीं है, बल्कि सम्मान के साथ आत्मनिर्भरता को सुनिश्चित करना है. यह आयोजन इस बात का प्रमाण है कि उत्तर भारतीय समाज महाराष्ट्र को केवल रोजगार का साधन नहीं, बल्कि अपनी कर्मभूमि मानता है.
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‘मराठी-गैर मराठी के बीच मतभेद पैदा करना चाहते हैं लोग’
BJP नेता कृपाशंकर सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान बिना किसी का नाम लिए मनसे प्रमुख राज ठाकरे पर कटाक्ष किया. उन्होंने कहा “हिंदी माझी आई, मराठी माझी मावशी. यानी हिंदी हमारी मां है और मराठी हमारी मौसी. कुछ लोग चुनाव के समय मराठी और गैर-मराठी के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश करते हैं. जब उनकी राजनीतिक स्थिति कमजोर होती है, तब वे भाषा के मुद्दे का सहारा लेते हैं.
‘मराठी प्रमोट करने वालों के बच्चे इंग्लिश में पढ़ते हैं’
कृपाशंकर सिंह ने यह टिप्पणी की कि जो लोग मराठी अस्मिता की बात करते हैं, उनके अपने बच्चे अक्सर अंग्रेज़ी माध्यम में शिक्षा प्राप्त करते हैं. उन्होंने उत्तर भारतीय समुदाय को महाराष्ट्र के विकास में एक समान भागीदार बताया और कहा कि यह समाज केवल श्रमिक नहीं है, बल्कि राज्य की प्रगति में योगदान देने वाले समर्पित नागरिक भी हैं.
हम हिंदू हैं, लेकिन हिंदी नहीं- राज ठाकरे
महाराष्ट्र की बीजेपी नीत महायुति सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने का निर्णय लिया था, जिसे व्यापक विरोध के चलते वापस लेना पड़ा. इस मुद्दे को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने भी प्रमुखता से उठाया, जहां राज ठाकरे ने स्पष्ट किया कि वे मराठी के अलावा किसी अन्य भाषा को बढ़ावा नहीं देंगे और हिंदी को थोपने का विरोध करेंगे. इसके जवाब में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बिना किसी का नाम लिए कहा कि जबकि अंग्रेजी को बढ़ावा दिया जाता है, हिंदी जैसी भारतीय भाषा का विरोध किया जाता है.
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‘कर्मभूमि है महाराष्ट्र’
उत्तर भारतीय समाज ने महाराष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह राज्य के निर्माण में योगदान देने वाले समर्पित नागरिकों का समूह है. उत्तर भारतीय संघ के अध्यक्ष संतोष सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि उत्तर भारतीय समाज महाराष्ट्र को केवल रोजगार का स्थान नहीं, बल्कि अपनी कर्मभूमि के रूप में भी देखता है.
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