सूर्य संवेदना पुष्पे, दीप्ति कारुण्यगंधने।
लब्ध्वा शुभं नववर्षेऽस्मिन कुर्यात्सर्वस्य मंगलम्॥
नवसत्वर की शुभकामनाएं, हमारा नव वर्ष हमें गौरव की अनुभूति कराता है. इसकी पुरातन मान्यता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण है.
अंग्रेजी नव वर्ष और हमारे नववर्ष की हम तुलना करेंगे तो देखेंगे 31 दिसंबर की रात कैसा वातावरण रहता है, और वहीं हमारे नववर्ष की शुरुआत चेत्र मास की प्रतिपदा माँ भगवती की आराधना शक्ति के पर्व से शुरू होती है. हम अपना नवबर्ष जब मनाते हैं तो कोई अँग्रेजी नववर्ष का विरोध नहीं है पर कोई तुलना करता है तो मन में पीड़ा होती है, जब पूरा विश्व अपना नवबर्ष मना सकता है तो हम क्यों नहीं ? जो बाद में आया और जो इतना प्राचीन और वैभवशाली है, उसकी क्या तुलना हो सकती है इसलिए नवसत्वर हमारे अभिमान का दिवस है.
भारतीय नववर्ष हमारी संस्कृति व सभ्यता का स्वर्णिम दिन है. यह दिन भारतीय गरिमा में निहित अध्यात्म व विज्ञान पर गर्व करने का सुअवसर है. जिस पवित्र भूमि भारत हमारा जन्म हुआ, जहां हम रहते हैं, जिससे हम सनातन काल से जुड़े हैं उसके प्रति हमारे अंदर अपनत्व का भाव होना स्वाभाविक है. हमारे पूर्वजों ने यह विरासत हमें प्रदान किया है जिसे सहेज कर रखने की जिम्मेदारी हमारी है.
आपके संज्ञान में यह विषय लाना चाहता हूं कि जापान अपनी परंपरागत तिथि अनुसार अपना नववर्ष ‘याबुरी’ मनाता है म्यांमार अप्रैल माह के मध्य में अपना नववर्ष ‘तिजान’ मनाता ,ईरान मार्च माह में अपना नववर्ष ‘नौरोज’ मनाता है, चीन चंद्रमा आधारित अपना नववर्ष ‘असरीयन’ मनाता है, थाईलैंड और कंबोडिया अप्रैल में अपना नववर्ष मनाता हैं, तो सवाल यह की हम भारतीय चैत्र शुक्ल प्रथमा को अपना नववर्ष मनाने में संकोच क्यों करते हैं?
हमारी मान्यताओं ने इस दिन से चैत्र नवरात्रों का आरंभ, भगवान राम का राज्यारोहण, युधिष्ठिर का राज्याभिषेक, संत झूलेलाल जयंती, गुरु अंगददेव का जन्म, आर्यसमाज की स्थापना कई गौरव का स्मरण कराता है.
चैत्र माह हिंदू कैलेंडर का नववर्ष
प्राचीन हिंदू पंचांग और कलेंडर के आधार विक्रमादित्य संवत को हिंदू नववर्ष या गुडी पड़वा कहा जाता है. 58 ईसा पूर्व राजा विक्रमादित्य ने खगोलविदों की मदद से इसे व्यवस्थित करके प्रचलित किया गया.इसे नवसवत्सर भी कहते हैं. विक्रम संवंत हिंदू कैलेंडर 12 माह और 7 दिनों का होता हैं. विक्रम संवंत में महिने का हिसाब सूर्य और चंद्रमा की गति पर आधारित रखा गया है. विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानी, अरब और अंग्रेजों ने भी अपनाया है.
चैत्र के माह को नयी शुरुआत के लिए इसलिए उपयुक्त मना गया क्यों कि इसी महीने वसंत के साथ प्रकृति में नयी रौनक़ आती है. इसीलिए मानव जीवन को भी नए शुरुआत देने के लिए इस माह का चयन किया गया. वैज्ञानिक दृष्टिकोण से मार्च में बदलने वाले कैलेंडर को ही प्राकृतिक रूप से उपयुक्त पाया गया है.
अंग्रेज़ी कलेंडर का नया साल जनवरी भी तार्किक रूप से नया साल साबित नही हुआ है जबकि मार्च के महीने में ही प्रकृति और धरती का एक चक्र पूरा होता है, 21 मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, इसी कारण इस दिन दिन और रात बराबर होते हैं। इसके बाद पृथ्वी जब नए चक्र की शुरुआत करता है, तब ही धरती में बसने वाले मानव को भी नया जीवन आरम्भ करना तर्क संगत लगता है.
सही अर्थों में चैत्र ही साल का पहला महीना होता है. हिंदू कैलेंडर में एक सम्पूर्ण दिवस सूर्योदय से सूर्योदय तक माना जाता है. सूर्यास्त को दिन और रात का संधिकाल माना जाता है. हिन्दू कैलेंडर सौरमास, नक्षत्रमास, सावन माह और चंद्रमास पर आधारित होता है. इसीलिए हमारा नववर्षं हर दृष्टि से सम्पूर्ण है.
नववर्ष की शुभकामनाएं…
संदीप अखिल,
सलाहकार संपादक
न्यूज़ 24 / लल्लूराम डॉट कॉम