
वाराणसी. सनातन सभ्यता अपनी परंपराओं और रीति रिवाजों को समेटे हुए, सबको साथ लेकर चलने के लिए जानी जाती है. सनातन के अपने अलग नियम हैं. इसी नियम के तहत चैत्र माह शुक्ल प्रतिपदा से नए साल (Hindu New Year) की शुरुआत होने जा रही है. चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) के प्रथम दिन से नव संवत्सर (Hindu New Year) की शुरुआत होती है. यानी अब हम नव संवत्सर ‘विक्रम संवत 2082’ में प्रवेश करने जा रहे हैं. इस संवत्सर का नाम ‘सिद्धार्थ’ होगा. आइए जानते हैं कि नया साल कैसा होने वाला है.

काशी के विद्वानों के मुताबिक आने वाला नया साल सारी मानव जाति के लिए उत्तम होने वाला है. प्राकृतिक आपदाओं के बीच फसलें अच्छी रहेंगी. गेहूं, धान, गन्ना आदि की उपज में बढ़ोतरी होगी, जबकि शीतकालीन फसलों के मामले में इसके स्वामी चंद्रमा के होने की वजह से मूंग, बाजरा, सरसों की उपज भी अच्छी रहेगी. नए संवत्सर का असर अन्य भूमि, भवन, शिक्षा, सोना और तकनीक के क्षेत्र में भी देखने को मिलेगा और इन सभी के दामों में उछाल आएगा.
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आर्थिक दृष्टि से ये नया साल काफी बेहतर माना जा सकता है.वहीं राजनीतिक क्षेत्र में ये स्थिति विपरीत हो सकती है. सूर्य के विशेष प्रभाव में होने के कारण भारतीय राजनीतिक पृष्ठभूमि पर इसका असर दिखेगा. समूचा हिंदू समाज इस पर्व को देशभर में एक साथ मनाता है. प्रांत के अनुसार इनके नाम अलग होते हैं. हिंदू नव वर्ष को गुड़ीपड़वा, चेट्रीचंड, उगादी आदी नामों से भी जाना जाता है.
मंदिरों में होंगे विशेष अनुष्ठान
चूंकि नए साल की शुरुआत चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) से होती है, इसलिए नए साल की शुरुआत के साथ ही देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ भी दिखेगी. सनातन परंपरा की यही सबसे सुंदर दृश्य है कि नए साल का आरंभ देवी-देवताओं की आराधना, प्रकृति की आराधना, पूजा-पाठ के साथ, सदाचार के साथ किया जाता है. नए साल की शुरुआत के साथ ही नवरात्र भर में शक्ति उपासना का दौर भी शुरु होगा. प्रदेश के देवी मंदिरों में 9 दिनों तक विशेष अनुष्ठान किए जाएंगे.
सौर मंडल में होगा मंत्रिमंडल का गठन
सनातन मान्यता के अनुसार इस दिन-
- ब्रम्हा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था.
- इसी दिन नवग्रह मंडल में मंत्रिमंडल का गठन भी होता है. इस साल भगवान सूर्य ही राजा होंगे, वे ही मंत्री भी होंगे.
- इस दिन से ही चैत्र नवरात्रि शुरू होती है.
- इस दिन से ऋतुओं और प्रकृति में बदलाव शुरू होता है.
- विक्रम संवत की शुरुआत राजा विक्रमादित्य ने की थी.
- इस संवत को गणितीय नज़रिए से बिल्कुल सटीक काल गणना माना जाता है.
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