वाशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की यात्रा के दौरान लड़ाकू विमानों के जेट इंजन के सह-उत्पादन पर अभूतपूर्व समझौता हुआ है. अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) एयरोस्पेस और भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के बीच F 414 जेट इंजन बनाने के समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुआ है.

जीई एयरोस्पेस की ओर से जारी बयान के मुताबिक, भारतीय वायु सेना के लिए लड़ाकू जेट इंजन बनाने के लिए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. यह करार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संयुक्त राज्य अमेरिका की आधिकारिक यात्रा के बीच एक बड़ा मील का पत्थर है. दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को मजबूत करने में एक प्रमुख कदम है.

GE एयरोस्पेस ने आगे कहा कि इस समझौते के तहत भारत में GE एयरोस्पेस के F 414 इंजनों का संभावित संयुक्त उत्पादन शामिल है, और GE एयरोस्पेस इसके लिए आवश्यक निर्यात प्राधिकरण प्राप्त करने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ काम करना जारी रखेगा. यह प्रयास भारतीय वायु सेना के हल्के लड़ाकू विमान एमके 2 कार्यक्रम का हिस्सा है.

GE के F414 इंजन की खासियत

जीई एयरोस्पेस के 414 इंजन में टर्बोफैन इंजन का इस्तेमाल सैन्य विमानों में किया जाता है. अमेरिकी नौसेना करीब 30 सालों से इसका इस्तेमाल करती आ रही है. इस इंजन में फुल अथॉरिटी डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल तकनीक है, जिसे पूरी तरह डिजिटली कंट्रोल किया जा सकता है. मौजूदा वक्त में सिर्फ आठ देश इस तरह के इंजनों का इस्तेमाल कर रहे हैं.