आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। जन अदालत से जिंदा लौट आना एक अचंभा ही है. अब तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि किसी समर्पित नक्सली को जन अदालत से जिंदा वापस छोड़ दिया गया हो. नक्सलियों ने पूरे घटनाक्रम का वीडियो जारी है, जिसके संबंध में बस्तर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने अनभिज्ञता जाहिर की है. उनका कहना है कि वीडियो देखने के बाद ही विषय पर कुछ बता पाएंगे. बहरहाल, युवक के जिंदा लौट आने से इलाके में खुशी का माहौल है.

सुकमा से माओवादियों की चेरला एरिया कमेटी ने एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में नक्सलियों की जन अदालत के बीच एक युवक को हाथ बांधकर खड़ा रखा गया है. युवक की आंखों पर भी पट्टी बंधी है. यहां नक्सली युवक की जिंदगी और मौत के न्यायाधीश बने बैठे हैं. नक्सल संगठन द्वारा जारी पर्चे के अनुसार, इस युवक का नाम जीवन है, जिसने 3 वर्ष तक नक्सल संगठन के साथ जुड़े रहने के बाद वर्ष 2021 में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. तभी से नक्सलियों को इसकी तलाश थी.

20 अगस्त को सुकमा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाके के किस्टाराम के एटूपाका ग्राम से नक्सलियों ने युवक का अपहरण कर लिया. तेलंगाना के भद्रादरी जिले के जंगलों में लगातार तीन दिनों तक इस से पूछताछ की गई, और अंत में जंगलों में ही जन अदालत लगाई गई. जन अदालत में आसपास के क्षेत्र के ग्रामीणों को एकत्रित किया गया और इस युवक के आचरण के विषय में लोगों से सलाह ली गई.

जीवन की खुशकिस्मती रही कि ग्रामीणों ने नक्सलियों को बताया कि उसने ऐसी कोई गलती नहीं की है जिस पर उसे मौत के घाट उतार दिया जाए. अंततः नक्सल संगठन की पूछताछ और ग्रामीणों के बयानों के बाद जीवन को जीवन दान दे दिया गया.

नक्सलियों ने जीवन का एक वीडियो बयान भी जारी किया है जो तेलुगु में है. इसमें जीवन कह रहा है कि उसे 3 दिन से बंधक बनाकर रखा गया था. माओवादियों ने मुझसे बातचीत की मैंने भी उनसे बातचीत की. मैंने कहा कि अब मैं अच्छे से रहूंगा और मुझसे गलती नहीं होगी. मुझे उन्होंने चेतावनी देते हुए दोबारा पुलिस से जुड़कर उनके साथ काम करने के लिए मना किया है. मैंने उनसे कहा है कि मुझसे गलती हुई है. संगठन ने मुझे समझाया और आखरी मौका दिया है.

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