दिल्ली. भारत में दो वयस्कों के बीच समलैंगिक संबंध बनाना अब अपराध नहीं है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने आज दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध मानने वाली धारा 377 को खत्म कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को मनमाना करार देते हुए व्यक्तिगत चुनाव को सम्मान देने की बात कही है. बता दें कि इस पर पूरे देश की नजर टिकी हुई थी. समलैंगिकता के विरोध और पक्ष में लंबे अरसे से बहस चल रही थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विराम लगा दिया है. इस फैसले को लेकर करन जौहर ने भी ट्वीट कर ऐतिहासिक निर्णय बताया है.
अभिनेता करन जौहर ने ट्वीटर से ट्वीट करते हुए लिखा है कि “ऐतिहासिक निर्णय !!!! आज गर्व है! समलैंगिकता को खत्म करना और समाप्त करना # धारा 377 मानवता और समान अधिकारों के लिए एक बड़ा अंगूठा है! देश को ऑक्सीजन वापस मिल जाता है!”
https://twitter.com/karanjohar/status/1037587979265564672
इस फैसले के बाद से समलैंगिक लोगों में खुसी की लहर है. सब एक दूसरे को बधाई देते हुए सुप्रीम कोर्ट का भी शुक्रिया कर रहे है. समलौंगिकता को लेकर चारों तरफ जश्न का माहौल है. गौरतलब है कि आईपीसी धारा 377 के अनुसार समलैंगिकता को अपराध के दायरे में रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट में इस धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी.
जजों ने कहा कि समाज को पूर्वाग्रहों से मुक्त होना चाहिए. हर बादल में इंद्रधनुष खोजना चाहिए. उल्लेखनीय है कि इंद्रधनुषी झंडा एलजीबीटी समुदाय का प्रतीक है. सुप्रीम कोर्ट ने आईपीसी की धारा 377 को मनमाना बताया है. मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविल्कर ने कहा कि समान लिंग वाले लोगों के बीच रिश्ता बनाना अब धारा 377 के तहत नहीं आएगा.
खास बात ये है कि अब तक दुनिया के दो दर्जन से भी ज्यादा देश समलैंगिक संबंधों को मान्यता दे चुके हैं औऱ इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखते हैं. सुप्रीम कोर्ट में भी इस पर चार दिन तक गर्मागरम बहस हुई थी जिसके बाद चीफ जस्टिस ने 17 जुलाई को शीर्ष कोर्ट ने 4 दिन की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.