मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) को भारत (India) का दिल कहा जाता है, जो हिस्टोरिकल प्लेस(Historical Place), वाइल्ड लाइफ(Wildlife), नेचर ब्यूटी (Nature Beauty) और ऐतिहासिक धरोहर (Historical Heritage) के लिए दुनिया भर (Around the World) में जाना जाता है। लेकिन यहां कुछ ऐसे ऐतिहासिक गांव (Historical Villages)हैं, जिनकी रोचक कहानियां आपको हैरान कर देंगी। यह गांव अपने पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण प्रदेश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मशहूर हैं। तो आइए थोड़ा ज्ञान बटोरते हैं।

बुरहानपुर का ‘लोहारी गांव’

दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल के साथ हजार किस्से जुड़े हैं। लेकिन इन किस्सों में आपने कभी मध्य प्रदेश के ‘बुरहानपुर’ के बारे में नहीं सुना होगा। लेकिन मध्य प्रदेश का यह शहर ताजमहल के इतिहास में एक खास महत्व रखता है। इसी शहर के कारण सैकड़ों साल पहले शानदार ताजमहल का निर्माण हुआ। बुरहानपुर का ‘लोहारी गांव’ मुगल काल के दौरान शाहजहां की पसंदीदा जगहों में से एक था। कहा जाता है कि, ताजमहल के निर्माण के लिए पहली बार यहीं से संगमरमर लाया गया था। इसके साथ ही शाहजहां ने इसे एक मिनी राजधानी के रूप में भी घोषित किया था। इस गांव के आसपास कई पुराने किले और सुरंगें आज भी बनी हुई हैं, जिनसे मुगलों की वास्तुकला का पता चलता है।

मुरैना का बटेश्वर गांव

मध्य प्रदेश का मुरैना जिला चंबल में आता है। जी हां हम वही चंबल की बात कर रहे हैं, जहां कभी डकैतों का राज हुआ करता था। लेकिन क्या आपको पता है मुरैना का बटेश्वर गांव चंबल में 200 से अधिक प्राचीन शिव मंदिर हैं। जिनका निर्माण 8वीं और 10वीं शताब्दी के बीच गुर्जर-प्रतिहार राजाओं ने किया था। समय के चक्र में बर्बाद होने के बाद भी मंदिर की भव्यता आपको आज भी आकर्षित कर सकती है।

दरअसल, बटेश्वर में गुर्जर-प्रतिहार राजाओं ने बलुआ पत्थर से 200 मंदिर बनवाए थे। ये मंदिर समूह उत्तर भारतीय मंदिर वास्तुकला की शुरुआती गुर्जर-प्रतिहार शैली के मंदिर समूह हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे भारत में एक भी ऐसी जगह नहीं है, जहां 200 मंदिर हैं। जानकार के अनुसार यहां अलग-अलग वेराइटी का आर्किटेक्चर है। कुछ शिखर वाले हैं, तो कुछ मंडपीय आकार के मंदिर हैं। 8वीं और 10वीं शताब्दी के 300 साल के समय में इन मंदिरों का निर्माण किया गया था। यानी खजुराहो के मंदिरों के निर्माण से 200 से 300 साल पहले ये मंदिर बने थे।

रायसेन का भीमबेटका का गांव

मध्य प्रदेश का भीमबेटका का गांव पाषाण युग की गुफाओं के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यह क्षेत्र महाभारत काल में भीम के प्रवास का स्थान था। भीमबेटका की गुफाएं आज भी मानव सभ्यता की प्राचीनता को दर्शाती हैं। इसके साथ ही गुफाओं में मौजूद चित्र 10,000 साल पुराने हैं। जो प्राचीन मानव जीवन को दर्शाते हैं। जानकार बतादें हैं कि, गुफाओं और कंदराओं में बिखरे हुए अवशेष इसकी तस्दीक करते हैं। रायसेन एक ऐसा प्राचीन शहर है जिसे उत्तर भारत का सोमनाथ भी कहा जाता है। यहीं पर स्थित भीमबेटका के गुफा चित्रों की खोज 1957-58 में डॉ विष्णु धर वाकणकर ने की थी। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भोपाल मंडल ने अगस्त 1990 में इस क्षेत्र को राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया। वहीं जुलाई 2003 में “यूनेस्को” ने इसे “विश्व विरासत स्थल” घोषित किया।

मांडू का मांडव गांव

मध्य प्रदेश का मांडू गांव बाज बहादुर और रानी रूपमती की प्रेम कहानी के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां के खंडहर आज भी उस सुनहरे युग की गवाही देते हैं। इस गांव में रूपमती महल और बाज बहादुर का महल प्रेम और वास्तुकला की दास्तां का गवाह है। राजा बाज बहादुर और रानी रूपमती के इश्क की ऐसी कहानी है जो जीते जी तो एक दूसरे के हो न सके, लेकिन फिर भी इनका प्यार इतिहास के पन्नों में आज भी जीवित है। विंध्य की खूबसूरत पहाड़ियों पर बसें मांडू को रानी रूपमती का घर कहा जाता है। यहां पर आपको भारत में घटी इश्क की सबसे खूबसूरत, लेकिन दर्द भरी दास्तान की चीख सुनाई देगी।

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