नेहा केशरवानी. रायपुर. आज सावन का पहला सोमवार है. आज रायपुर के प्रसिद्ध बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी. ये छत्तीसगढ़ का बहुत प्राचीन मंदिर है.
आदिवासियों के आराध्य बूढ़ादेव के नाम पर और बूढ़ा तालाब किनारे होने के कारण भगवान का नाम बूढ़ेश्वर महादेव पड़ा. पूरे सावन महीने यहां भक्तों की भीड़ रहती हैं. भीड़ के लिए सुरक्षा व्यवस्था के खास इंतज़ाम भी यहां किये गए हैं.
बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर में भगवान शिव के पूरे परिवार का दर्शन भी किया जा सकता हैं. मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग के साथ साथ श्री गणेश, कार्तिकेय भगवान, मां पार्वती का दर्शन भी मिलता हैं. वही मंदिर परिसर में श्री राम सीता, श्री राधा कृष्ण, भैरवनाथ, हनुमान जी, संतोषी माँ की प्रतिमा भी स्थापित हैं. मंदिर के पुजारी ने बताते हैं कि जब पूरा इतिहास खंगाला गया तब ये जानकरी सामने आई कि सन 1818 में मंदिर शिवलिंग स्थापना का उल्लेख हैं. राजा ब्रम्हदेव के शासनकाल के समय मे हुई थी.
उस समय आदिवासियों के आराध्य देव बूढ़ादेव थे और समाज को एक सूत्र में लाने के लिए बूढ़ादेव की स्थापना की गई थी. ताकि समाज एकजुट होकर भगवान की भक्ति कर सके. शुरुआत में केवल शिवलिंग ही स्थापित किया गया था उसके बाद जनसहयोग से मंदिर को बड़ा आकार दिया गया. और आज भी सभी के सहयोग से मंदिर का संचालन व्यवस्था किया जा रहा हैं.
ये है पुरानी मान्यता
ऐसी मान्यता है कि बूढ़ा तालाब के किनारे शिवलिंग पर हमेशा सर्प लिपटे रहते थे, कालांतर में उस शिवलिंग के उपर मंदिर बनाया गया. बाद में मंदिर का जीर्णोद्धार 1950 के आसपास श्री पुष्टिकर समाज के सदस्यों ने किया.
ऐसे पहुंचे मंदिर
कालीबाड़ी से सीधी सड़क बूढ़ातालाब की ओर जाती है. तालाब में बने गार्डन के मुख्य द्वार के सामने ही मंदिर है. रेलवे स्टेशन अथवा बस स्टैंड से बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर की दूरी लगभग 5 किलोमीटर है. यहां पहुंचने के लिए टैक्सी शहर के हर इलाके में उपलब्ध रहती है. जयस्तंभ चौक, सदरबाजार से मात्र 10 मिनट में मंदिर पहुंचा जा सकता है.