रवि गोयल,जांजगीर. मेजर ध्यानचंद हॉकी मैदान में गरीब परिवार के छोटे-छोटे बच्चों को हॉकी की बारिकियों को सिखाया जा रहा है. जहां स्कूल जाने से पहले ही बच्चे मैदान में स्टीक लेकर उतर जाते है. इस मैदान से 100 से अधिक युवक युवतियों ने हॉकी की प्रशिक्षण लेकर राज्य में जिले का नाम रोशन किया है. आज अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के अवसर पर खिलाडियों ने अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन किया. जिसके बाद अतिथियों ने उनका जोश बढ़ाते हुए उन्हें सम्मानित किया.
जांजगीर के भाठापारा में रहने वाले गरीब परिवार की बस्ती से बच्चों को लेकर 20 साल पहले गोपेश्वर कहरा ने ऑल इंडिया लेबल का खेल खेला था. उन्होंने ने ही एक प्रयास शुरु करते हुए अपने ही खर्च से बच्चों को हॉकी कीट उपलब्ध कराकर मैदान में उतार रहे है. इनकी ही प्रयास से आज इन खिलाडियों ने एक दो या तीन बार नहीं बल्कि 7 बार नेशनल खेल में प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके है. इतना ही नहीं छत्तीसगढ की टीम से 12 में 18 खिलाड़ी इसी मैदान से खेल कर खेल में शामिल हुए है.
इस मैदान में ऐसे बच्चों का भविष्य गढ़ा जा रहा है, जिनकी आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण परिवार तंग हाली में जिंदगी जी रहा है. उन गरीब बच्चों को स्कूल जाने से पहले हॉकी मैदान में प्रशिक्षण लेने के लिए सुबह से ही स्टीक लेकर बुलाया जाता है. अपने कोच के सीखाए हुनर के बदौलत जिले के 53 खिलाडियों ने राष्ट्रीय हॉंकी प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है. यहां आने के बाद बच्चों में के अंदर अनुशासन के साथ जीवन जीने की कला भी आ जाता है.
हॉकी के प्रति बच्चों में बढ़ते रुझान और अच्छा प्रदर्शन को देखते हुए आज अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस को यादगार बनाते हुए नगर समाज सेवकों ने इन खिलाडियों का सम्मान कर हौसला बढ़ाया है. साथ ही खेल और शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें हर संभव मदद करने का भरोसा दिलाया. कोच तो बच्चों को हर संभव मदद दे रहे है. लेकिन अब सरकार से भी आस लगा रहे है कि अगर सरकार उन्हें एस्ट्रोटर्फ मैदान और अच्छा कीट के साथ अच्छा डाईट उपलब्ध करा दे तो ये खिलाड़ी देश का नाम और आगे बढ़ा सकते है.