धार्मिक मान्यता के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से फाल्गुन पूर्णिमा तक के समय को होलाष्टक कहा गया है. 27 फरवरी, सोमवार से होलाष्टक शुरू हो गई है. इन आठ दिनों में कुछ सावधानियों के साथ क्या करना चाहिए और क्या नहीं ये आज हम आपको बताएंगे. Read More – YouTube पर वीडियो देखकर महिला बना रही थी ये डिश… फिर हुआ कुछ ऐसा कि पूरे घर में लग गई आग …
होलाष्टक के दिन क्या करना चाहिए
- होलाष्टक में पूजा-पाठ करने और भगवान का स्मरण भजन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
- मान्यता है कि होलाष्टक में कुछ विशेष उपाय करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं.
- होलाष्टक के दौरान श्रीसूक्त व मंगल ऋण मोचन स्त्रोत का पाठ करना चाहिए जिससे आर्थिक संकट समाप्त होकर कर्ज मुक्ति मिलती है. Read More – अगर आप धूप से नहीं ले पा रहे हैं विटामिन D, तो ये आहार खाकर Body को दें पर्याप्त Vitamin D …
- होलाष्टक के दौरान भगवान नृसिंह और हनुमानजी की पूजा करना चाहिए.
- होलाष्टक के दौरान श्रीकृष्ण की की पूजा के साथ ही इस दौरान लड्डू गोपाल का पूजन कर संतान गोपाल मंत्र का जाप या गोपाल सहस्त्र नाम पाठ करवा कर अंत में शुद्ध घी व मिश्री से हवन करेंगे तो शीघ्र संतान प्राप्ति होती है.
- विजय प्राप्ति हेतु आदित्यहृदय स्त्रोत, सुंदरकांड का पाठ या बगलामुखी मंत्र का जाप करें.
- करियर में चमकदार सफलता के लिए जौ, तिल व शकर से हवन करें.
- कन्या के विवाह हेतु-कात्यायनी मंत्रों का इन दिनों जाप करें.
- बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लग रहा है तो गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें. फिर मोदक व दूर्वा से हवन करें.
होलाष्टक में वर्जित कार्य
- विवाह करना 2. वाहन खरीदना 3. घर खरीदना 4. भूमि पूजन 5. गृहप्रवेश 6. 16 संस्कार 7. यज्ञ, हवन या होम 8. नया व्यापार शुरु करना 9. नए वस्त्र या कोई वस्तु खरीदना 10. यात्रा करना.
सावधानियां
होलाष्टक को ज्योतिष की दृष्टि में एक दोष माना जाता है. इन आठ दिनों में कोई भी मांगलिक कार्यों को करना निषेध होता है. ज्योतिष मान्यता के अनुसार इस दिन से मौसम परिवर्तन होता है, सूर्य का प्रकाश तेज हो जाता है और साथ ही हवाएं भी ठंडी रहती है. ऐसे में व्यक्ति रोग की चपेट में आ सकता है और मन की स्थिति भी अवसाद ग्रस्त रहती है. होलाष्टक के आठ दिनों को व्रत, पूजन और हवन की दृष्टि से अ’छा समय माना गया है.
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