हिंदू कैलेंडर के अनुसार, होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है. प्राचीन काल से ही इस आठ दिन की अवधि को किसी भी नए या शुभ कार्य के लिए अशुभ माना जाता है।
होलाष्टक का आखिरी दिन यानी फाल्गुन माह की पूर्णिमा पर अधिकांश क्षेत्रों में होलिका दहन का दिन होता है. होलाष्टक हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों में पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है.
मान्यता के अनुसार, इन 8 दिनों के दौरान ऊर्जा के स्तर पर ब्रह्मांडीय स्थिति ऐसी होती है कि पहले जिन लोगों ने इस दौरान कोई भी महत्वपूर्ण कार्य किए थे, उन्हें बाद में समस्याओं का सामना करना पड़ा था. यही कारण है कि, हजारों वर्षों से होलाष्टक के कारण लोग इस दौरान नए और महत्वपूर्ण काम शुरू करने से दूरी बनाए रखते हैं.
कब से शुरू हो रहे हैं होलाष्टक
होलाष्टक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होता है और पूर्णिमा तक जारी रहता है. इस साल 2024 में होलाष्टक 17 मार्च, रविवार से शुरू हो रहे हैं जो कि 24 मार्च तक रहेंगे. इसके बाद ही 24 मार्च को होलिका दहन होगा. रंगवाली होली 2024, 25 मार्च, सोमवार को है.
इन चीजों की मनाही
होलाष्टक, हिंदू माह फाल्गुन के शुक्ल पक्ष अष्टमी की तिथि से आठ दिनों की अवधि को अशुभ माना जाता है. इस अवधि को किसी भी शुभ कार्य के लिए वर्जित माना जाता है, जैसे कि विवाह, गृहप्रवेश, या यहां तक कि एक नए व्यवसाय की शुरुआत. आठवें दिन फाल्गुन पूर्णिमा के प्रदोष काल में होलिका दहन के साथ होलाष्टक समाप्त होता है. हालांकि, कभी-कभी फाल्गुन पूर्णिमा प्रदोष काल के दौरान भद्रा करण से पीड़ित होती है. भद्रा करण में शुभ कार्य करना वर्जित है. इसी वजह से ऐसे वर्षों में होलाष्टक की अवधि आठ दिनों से बढ़कर नौ दिनों तक की हो जाती है.
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