दिल्ली. वैसे लोग बहुत सी चीजों से बेतहाशा लगाव रखते हैं. उस लगाव के चलते लोग न जाने क्या क्या कर गुजरते हैं. तमिलनाडु की एक ऐसी ही महिला को एक सांड से इस कदर लगाव हुआ कि उन्होंने शादी न करने का फैसला ले लिया.
तमिलनाडु के मदुरै जिले के मेलूर गांव की रहने वाली सेल्वारानी कनगरासू ने एक सांड पालने के चक्कर में खुद को इतना व्यस्त कर लिया कि उनके पास अपनी ही शादी के लिए वक्त नहीं था. उन्होंने बेहद कम उम्र में ही ये फैसला कर लिया कि वे अपने पसंदीदा सांड की सेवा में जिंदगी लगा देंगी. दरअसल तमिलनाडु में जलीकट्टू सदियों से मनाया जाता रहा है. इसमें सांड को वश में किया जाता है. कई लोग इस दौरान घायल भी हो जाते हैं. कई इसी चक्कर में मौत के मुंह में समा चुके हैं. तमिलनाडु में पोंगल के मौके पर जलीकट्टू मनाने की परंपरा काफी दिनों से चली आ रही है.
मेलूर गांव की रहने वाली सेल्वारानी के परिवार में पिछली कई पीढ़ियों से सांड पालने की परंपरा चली आ रही है. इनके परिवार वाले सांडों की देखभाल घर के बच्चों की तरह करते हैं. उनके भाईयों के पास जब सांडों की देखभाल के लिए समय नहीं था तो सेल्वारानी ने फैसला किया कि वे अपने परिवार की परंपरा का पालन करेंगी और सांड की देखरेख में अपना पूरा जीवन समर्पित कर देंगी.
उनके मुताबिक ये सांड ही मेरा सबकुछ है. भले लोग उनके निर्णय पर आंख-भौं तरेरते हों लेकिन सेल्वारानी को लोगों की कोई परवाह नहीं है. वो बेहद दिलेरी से एक भारी भरकम सांड की न सिर्फ सेवा करती हैं बल्कि उसकी तेल मालिश और खाने पीने का पूरा ख्याल रखती हैं. सेल्वा ने अपने सांड का नाम ‘रामू’ रखा है. वो भले ही मेहनत मजदूरी करके पैसे कमाती हों लेकिन ‘रामू’ की देखरेख में कोई कमी नहीं आने देती. सेल्वा को ‘रामू’ की डाइट के लिए जितनी भी मेहनत करनी पड़ी वो करती हैं. ‘रामू’ की डाइट ऐसी है जिसे सुनकर अच्छे अच्छे दांतों तले गलियां दबा लें. खजूर, केला, तिल, नारियल, चावल के पकवान इसके प्रतिदिन की डायट में शामिल हैं.
‘रामू’ की जिंदगी और ऐशो आराम देखकर दूसरे सांडों को उससे जलन हो सकती है. रोजाना वाक पर जाना, तालाब में स्विमिंग के लिए रेगुलर जाना और रेगुलर इंटरवल पर हेल्थ चेकअप ये किस सांड को नसीब होता है भला लेकिन ‘रामू’ की जिंदगी का ये हिस्सा है. सेल्वा के मुताबिक ‘रामू’ उनके बेटे जैसा है.
सेल्वा और ‘रामू’ के इस प्रेम की कहानी अपनी तरह की न सिर्फ अनूठी है बल्कि उदाहरण है कि कैसे लोग अपने जुनून के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार रहते हैं. वैसे ‘रामू’ की किस्मत देखकर दूसरे सांडों को जरुर जलन हो रही होगी. वो यही सोच रहे होंगे कि मेरी किस्मत ‘रामू’ जैसी क्यों नहीं. वैसे ये सेल्वा की मेहनत और समर्पण का ही नतीजा है कि ‘रामू’ को इलाके में लोग हीरो की नजर से देखते हैं. पिछले कई सालों से होने वाले जलीकट्टू महोत्सव की शान ‘रामू’ रहा है. ‘रामू’ और सेल्वा की जोड़ी के चर्चे तो पूरे इलाके में मशहूर हैं. आखिर ये दोस्ती है ही इतनी खास.