Holi 2025: बिहार समेत पूरे देश में होली की धूम है. हालांकि प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में होली आज की बजाय कल 15 मार्च को मनाई जाएगी. बावजूद इसके पूरा बिहार होली की खुमार में डूबा हुआ है. रंगों का त्यौहार मनाने के लिए हर कोई उत्साहित है. लेकिन आज हम आपको ऐसे 5 गांवों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां होली मनाने की परंपरा काफी अलग है.

इन गांवों में नहीं मनाई जाती होली

बता दें कि नालंदा जिले के 5 गांव ऐसे हैं, जहां होली के दिन ग्रामीण रंग गुलाल और हुड़दंग नहीं बल्कि भक्ति में रमे रहते हैं. बिहारशरीफ सदर प्रखंड से सटे ये पांच गांव पतुआना, बासवन बीघा, ढिबरापर, नकटपुरा और डेढ़धरा गांव है, जहां पिछले 51 सालों से होली नहीं मनाई जाती.

मंदिर के पुजारी ने बताई ये बात

इस संबंध में गांव के मंदिर के पुजारी ने बताया कि, एक सिद्ध पुरुष संत बाबा उस जमाने में गांव में आए वे यहां झाड़फूंक करते थे. आज जिनके नाम से एक मंदिर गांव में है, जहां दूर दराज से श्रद्धालु आस्था के साथ मत्था टेकने पहुंचते हैं. उनकी 20 साल पहले मृत्यु हो गई. उन्होंने लोगों से कहा कि यह कैसा त्योहार है, जिसमें लोग नशा करते हैं और फूहड़ गीत के साथ नशे में झूमते हैं.

अनुष्ठान से पहले बनता है खाना

इसके बाद से ही इस पर्व को रंग गुलाल के साथ इन पांच गांवों में नहीं मनाया जाता है. होली के दिन धार्मिक अनुष्ठान शुरू होने से पहले ग्रामीण घरों में मीठा व शुद्ध शाकाहारी पकवान बनता है. जब तक अखंड का समापन नहीं होता घर में चूल्हा और धुआं निकलना वर्जित रहता है. न ही लोग होली गीत गाते हैं और फूहड़ गीतों पर डांस करते हैं.

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