
Holi 2025: होली आ रही है. होली के व्यंजन बनाने की तैयारियां अभी से चल रही होंगी. हर इलाके में होली के अलग-अलग व्यंजन हैं. पर कुछ व्यंजन ऐसे हैं, जो हर जगह बनते हैं. कांजी भी उनमें एक है. होली पर कांजी बनाने का एक महत्त्व यह है कि इसे पीने से हाजमा दुरुस्त हो जाता है. दिन भर तैलीय और मसालेदार व्यंजन खाकर अक्सर पेट गड़बड़ हो जाता है. ऐसे में कांजी बहुत मदद करती है. कांजी के कई रूप हैं. कुछ लोग इसमें चुकंदर, गाजर आदि डालते हैं, तो कुछ लोग वड़े डालते हैं. मगर इसका पानी बनाने का तरीका सब जगह एक ही है. इसे बनाना बहुत आसान है. गाजर चुकंदर की कांजी बहुत स्वादिष्ट लगती है.

सामग्री
राई (पीली सरसों), हींग, कुटी लाल मिर्च, काला नमक, काली गाजर, चुकंदर.
विधि
कांजी का मुख्य भाग उसका पानी बनाने का होता है. इसके लिए एक कांच या फिर मिट्टी के बरतन में चार से पांच लीटर पानी लें. उसमें दो चम्मच के बराबर काला नमक डाल दें. फिर एक से डेढ़ चम्मच राई को कूट कर डालें. लाल मिर्च पाउडर एक चम्मच और आधा चम्मच हींग पाउडर डाल कर अच्छी तरह मिला लें. इसी में दो चुकंदर और दो काले गाजर छिलका उतार कर छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर डाल दें. बर्तन के ऊपर कपड़ा बांध दें और उसे धूप में रख दें. इसे दो दिन धूप में रखना होता है, तब अच्छा स्वाद आता है. सुबह और शाम को इसे कलछी या किसी चम्मच से चला दिया करें ताकि सारी सामग्री घुल-मिल जाए. फिर कपड़ा बांध कर रख दें.
दो दिन में कांजी तैयार हो जाती है. इसे गिलास में भर कर पीएं. गाजर और चुकंदर के टुकड़े चबा लें. होली के अलावा भी कांजी बना कर रख सकते हैं. गरमी का मौसम आ रहा है, इसमें कांजी पीने से पाचनतंत्र ठीक रहता है.
…तो कुछ मीठा नहीं खिलाएंगे!
होली पर भी दिवाली की तरह आमतौर पर मीठे पकवान बनते हैं. गुझिया वगैरह. मगर मालपुआ एक ऐसा व्यंजन है, जिसकी पहचान होली से ही जुड़ी हुई हैं. कई इलाकों में होली के दिन कुछ और बने न बने मालपुआ अवश्य बनता है. मालपुआ शुद्ध भारतीय और देसी व्यंजन है. इसे बनाना बहुत आसान है.
सामग्री
चीनीः आधा किलो, आटाः आधा किलो, तलने के लिए तेल, मेवेः चिरौंजी, किशमिश, बादाम आदि मनपसंद मेवे.
विधि
जिस दिन मालपुआ बनाना हो, उसके एक रात पहले इसकी तैयारी कर लें. इसके लिए सबसे पहले ढाई सौ ग्राम चीनी को एक लीटर पानी में उबाल कर ठंडा कर लें. फिर उसी पानी से आटे का घोल तैयार करें. ध्यान रहे कि घोल न तो बहुत पतला हो और न ज्यादा गाढ़ा. घोल ऐसा हो कि ऊपर से छोड़ें तो एकसार धीरे-धीरे नीचे गिरे. इसी में मेवे काट कर डाल दें और ढक्कन लगा कर रात भर के लिए छोड़ दें. सुबह कड़ाही में भरपूर तेल गरम करें. कड़ाही अगर चपटे तले की लें, तो मालपुआ अच्छा बनता है. आटे के मिश्रण को एक बार अच्छी तरह फेंट लें. कलछी से एक कलछी बताबर सामग्री तेल में डालें और मध्यम आंच पर उलट-पलट कर सुनहरा रंग आने तक तल लें. इसी तरह सारे पुए तल लें. फिर बची हुई चीनी को एक गिलास पानी डाल कर उबाल लें. जब वह एक तार की चाशनी बन जाए तो ठंडा कर लें. जब हल्का गरम रह जाए, तो उसमें एक-एक पुआ डाल कर निकालें और अलग बर्तन में रखते जाएं. जो चाशनी बच जाए उसे पूरे पुए पर डाल दें. अगर चाहें, तो पुओं के ऊपर मावा और कतरा हुआ बादाम डाल कर सजा सकते हैं.