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जीतेन्द्र सिन्हा, राजिम। आज देशभर में होली का महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है, जिसमें लोग अलग-अलग तरीकों से रंगों का त्योहार मना रहे हैं. होली के इस अवसर पर हर कोने में हर्षोल्लास का दृश्य देखा जा रहा है. होली के एक दिन पहले होलिका दहन को भी लोग अपनी परंपरागत शैली से मनाते हैं. होलिका दहन का एक अद्भुत दृश्य छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में एक गांव में देखने को मिला है. यहां के लोग होलिका दहन के बाद धधकते अंगार पर नंगे पांव चलते नजर आए. इसमें किसी को भी कोई हानि नहीं होती है. यहां के इस प्राचीन रिवाज देखकर हर कोई हैरान है.
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दरअसल, यह मामला गरियाबंद जिले के छुरा क्षेत्र के ग्राम कोठीगांव का है जो ओडिशा सीमा से लगे सराईपाली में है. होलिका दहन के बाद धधकते अंगार पर ग्रामीणों के नंगे पांव चलने का ये रिवाज पूर्वज काल से चला आ रहा है. लोगों का मानना है कि होलिका दहन के बाद बने अंगार पर चलने से शारीरिक कष्ट दूर होते हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही इस परंपरा को लोग खुशी से आज भी स्वीकार करते हैं. लोगों की इस बात पर बहुत आस्था है कि इस परंपरा को मानने से गांव में न तो अशांति आती है और न ही गांव में किसी संक्रामक बीमारी का प्रकोप होता है. लोग होलिका दहन के पहले गांव की देवी माता डोकरीबूढ़ी को याद करते हैं. सबसे पहले पुजारी जलते हुए अंगार को नंगे पांव पार करते हैं. इसके बाद अन्य ग्रामीण नंगे पांव गांव की देवी का नाम लेते हुए इसे पार कर जाते हैं. होलिका दहन में लकड़ियों और कंडे का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद ग्रामीण राख के ठंडा हो जाने पर उसे अपने घर ले जाते हैं. उसका टीका भी लगाते हैं और फिर होली मनाते हैं.
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