शब्बीर अहमद, भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री अरुण यादव को लेकर लगातार सियासत तेज होती जा रही है. अरुण यादव के मैं ‘सिंधिया’ नहीं हूं वाले ट्वीट पर बीजेपी हमलावर हो गई है. प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने ट्वीट पर पलटवार करते हुए अरुण यादव का ध्यान देने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि कमलनाथ की चकरी धीरे चलती है, लेकिक पीसता बारीक है. अरुण यादव का संघर्ष का इतिहास रहा है. उनके पिता के साथ सौतेला व्यवहार किया गया. गृहमंत्री ने ये भी कहा, अरुण यादव ने संघर्ष किया, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ को बना दिया गया.
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भी पूर्व मंत्री के ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा कि अरुण यादव की बीजेपी को आवश्यकता नहीं है. प्रदेश में सभी स्थानों पर हमारे पास सभी स्थानों पर हमारे पास नेतृत्व है. खंडवा में हमारे पास अनेक नेता हैं. अरुण यादव को बीजेपी में लेने का प्रश्न ही नहीं उठता है. मंत्री ने कहा कि यह कांग्रेस की अंतर्कलह है. अगर उनके अंदर कांग्रेस का खून हैं तो बैठक में क्यों नहीं गए. सिंधिया और अरुण यादव की कोई तुलना नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि सिंधिया को प्रदेश जनता भ्रष्टाचार की सरकार गिराने पर धन्यवाद कह रही है.
अरुण यादव पर मचे घमासान के बीच कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने भी बीजेपी को जवाब दिया है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि अरुण यादव को लेकर भाजपा ने भ्रम फैलाया, यादव परिवार कांग्रेस को हमेशा समर्पित रहा है. उन्होंने कहा कि 5 अगस्त को कमलनाथ से अरुण यादव मुलाकात करेंगे.
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आपको बता दें कि बीते कई दिनों से एपमी में होने वाले खंडवा लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री अरुण यादव के बीजेपी में शामिल होने की अफवाह रही है. जिसको लेकर रविवार को अरुण यादव ने ट्वीट करके सारी अफवाहों पर विराम लगा दिया. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने लिखा है, ‘मेरी शरीर व परिवार के रक्त की एक एक बूंद में कांग्रेस विचारधारा का प्रवाह होता है. मुझ सहित समूचे परिवार के नाम के आगे “यादव” लिखा है “सिंधिया” नहीं. अलगाववादी ताकतों को मुंह की खाना पड़ेगी.’ हीं अरुण यादव के जवाब पर दिग्विजय सिंह ने उन्हें शाबशी दी है. दिग्विजय सिंह ने कहा, ”शाबाश अरुण आपसे यही हम सभी लोगों की उम्मीद है”.
दरअसल राज्य में निकट भविष्य में होने वाले खंडवा लोकसभा उपचुनाव के लिए अरुण यादव की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है और वे उपचुनाव की तैयारियों में जुट भी गए हैं, लेकिन संगठन के अंदर ही उनकी दावेदारी को कथित तौर पर चुनौती देने के प्रयासों के बीच सत्ता के गलियारों में यह कयास लगाए जाने लगे थे कि क्या अरुण यादव भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के नक्शेकदम पर चलेंगे.
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