सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। राज्य में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ गृह विभाग के कर्मियों को पूर्व में पदस्थापना स्थान पर प्रचलित आवास किराया भत्ता प्राप्त करने की पात्रता थी. लेकिन इस पात्रता को 25 जुलाई 2012 को विभागीय आदेश के जरिए समाप्त कर दिया गया है. इस संबंध में पूर्व में जारी परिपत्रों को लेकर भ्रम की स्थिति दूर करने के लिए गृह विभाग ने 17 मई 2022 को नया पत्र जारी किया है.
गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि तत्कालीन मध्यप्रदेश शासन के गृह विभाग द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ शासकीय सेवकों को उनकी पूर्व पदस्थापना स्थान में आबंटित शासकीय आवास के संबंध में 6 अप्रैल 1994 को परिपत्र जारी किया गया था. लेकिन छत्तीसगढ़ के बहुत से जिले नक्सल प्रभावित होने तथा राज्य में शासकीय आवासों की कमी को ध्यान में रखते हुए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ शासकीय सेवकों को उनके पूर्व पदस्थापना स्थान में आबंटित शासकीय आवास को धारण करने की सुविधा को 8 जनवरी 2004 को विभागीय आदेश के जरिए निरस्त कर दिया गया है.
उन्होंने बताया कि राज्य में वर्ष 2012 के पूर्व तक पदस्थापना स्थान पर प्रचलित आवास किराया भत्ता प्राप्त करने की पात्रता थी, जिसे 25 जुलाई 2012 को समाप्त किया जा चुका है. लेकिन पूर्व में जारी परिपत्रों को लेकर भ्रम की स्थिति निर्मित होने पर 17 मई 22 को विभागीय पत्र जारी कर परिपत्रों के संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया गया है, न कि पूर्व सुविधा को समाप्त किया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि गृह विभाग द्वारा आबंटित किए जाने वाले आवासों में एक अधिकारी नक्सल क्षेत्र में पदस्थ है, जिसने आवास धारण किया है. पुलिस अधीक्षक, रायपुर द्वारा आबंटित किये जाने वाले आवासों में 35 पुलिस कर्मी नक्सिल प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थ हैं. संचालक, संपदा द्वारा आबंटित किए जाने वाले आवासों में नक्सली प्रभावित क्षेत्र में पदस्था किसी भी शासकीय सेवक द्वारा आवास धारण नहीं किया गया है.
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