रायपुर. गर्मी के दिन आते ही लू लगना एक आम बात होती हैं. लू को हीट स्ट्रोक (Heat Stroke,Sun Stroke,Thermic Fever,Siriasis) भी कहते है. धूप में जाने पर लू लगने का खतरा बना रहता हैं. इसे साधारण नहीं समझना चाहिए बल्कि तुरंत उपचार कराना चाहिए क्योंकि ज्यादा होने पर व्यक्ति के प्राण भी जा सकते हैं. होम्योपथी से न सिर्फ लू से बचाव किया जा सकता हैं बल्कि धूप में जाने से पहले होम्योपैथिक दवाई खाने से लू लगने से बचा भी जा सकता है .

राजधानी रायपुर के होमियोपैथी डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी ने बताया कि धूप में जाने पर पसीना अधिक आने से शरीर में नमक और पानी की कमी हो जाती हैं, मौसम का तापमान बढ़ने से शरीर का संतुलन बिगड़ जाता है. इस बिगाड़ का शरीर पर आंतरिक दुष्प्रभाव है लू. तेज बुखार, बेचैनी, असहनीय सिर दर्द, पेशाब न होना, शरीर में जलन, मुँह और गले में सूखापन, तीव्र अवस्था में बेहोशी इसके मुख्य लक्षण हैं. अगर लू लग ही जाए तो होम्योपैथी में इसके असरकारी उपाय हैं. होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है. प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है. अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श यहां दी हुई किसी भी दवा का उपयोग न करें.

क्या न करें
मौसम में परिवर्तन हो रहा है. अत: सर्दी-खांसी और बुखार होने की संभावना बनी रहती है. इस मौसम में जब भी बाहर से घर आएं तुरंत ना तो ठंडा पानी पीना चाहिए और न ही एसी या पंखा चलाना चाहिए. थोड़ी देर आराम करने के बाद ही नार्मल पानी पीए अथवा पंखा चलाएं. ऐसा नहीं करने पर सिर दर्द होने की संभावना रहती है. गर्म धूप और गर्म हवा से लू लगने की संभावना रहती है.
क्या करें
लू से बचने के लिए घर से बाहर निकलने के पहले भोजन कर लें. खाली पेट लू लगने की संभावना बढ़ जाती है. पानी ज्यादा पीएं. साथ ही मौसमी रसदार फलों का सेवन करें.
लक्षण
शरीर का तापमान बढ़ जाना,तेज सिरदर्द होना,उल्टी होना,बुखार होना,पैर के तलवे में जलन होना,पसीना कम आना,कमजोरी लगना,हाथ-पैर कांपना,सांस लेने में तकलीफ
भ्रम की अवस्था,कॉमा,घबराहट होना,उल्टी होना
होम्योपैथिक उपचार
नेट्रम-म्यूर (Nat-Mur)
धूप में जाने पर पसीना अधिक आने से शरीर में नमक और पानी की कमी हो जाती हैं. चूंकि यह दवा नमक से बनती हैं इसलिए इससे शरीर में नमक की पूर्ति हो जाती हैं. दिन में 10/11 बजे तकलीफ ज्यादा बढ़ती हैं. सिरदर्द होता है. कमजोरी लगती है. आँखों में जलन होती है. प्यास अधिक लगती है. ब्लड-प्रेशर कम हो जाता है. इसे धूप में जाने से पहले खाने से लू नहीं लगती है.
ग्लोनाईन (Glonine)
चक्कर आते हैं. धूप में जाने पर सिरदर्द होता है. बुखार और घबराहट होती है. सिर में गर्मी लगती है. शरीर का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है. जी मचलाये. तेज गर्मी से होने वाली तकलीफ. तकिये पर सिर नहीं रखा जाता. धड़कन बढ़ जाती है. सांस लेने में तकलीफ होती है. ब्लड-प्रेशर बढ़ जाता है.
बेलाडोना (Belladona)
त्वचा गर्म सूखी और लाल होती है. बेचैनी रहती है. बहुत तेज सिरदर्द (माथे में) रहता है. प्यास बहुत लगती है. गाल बहुत गर्म और लाल होते है. चक्कर आते है. कान में तेज दर्द होता है. धड़कन बहुत तेज हो जाती है. हाई फीवर में मानसिक अवस्था बहुत आक्रामक हो जाती है.
जेलसीमियम (Gelsimium)
चक्कर बहुत आते हैं. रोगी ऊंघता रहता है. हर समय नींद सी आती रहती है. सुस्ती छाई रहती है. पल्स बहुत धीमी हो जाती है. डिप्रेशन धूप में जाने बाद बढ़ जाता हैं. पलके इतनी भारी लगती है कि मरीज आखें नहीं खोल पाता है. रोगी को प्यास नहीं लगती है. त्वचा पर लाल रंग के दाने निकलते हैं. हमेशा थकान लगती है.
लू से बचने के घरेलू उपाय
1) टेशू के फूलों को पानी में उबाल कर उसके पानी में पहनने (बनियान आदि जो पेट,सीना और पीठ को ढंके) के कपड़े भिगो कर छाया में सुखा लें. फिर उसे धो कर रख लें. जब भी धूप में जाना हो, इसे पहन कर निकलें. इससे लू नहीं लगती है. छोटे बच्चों को लू से बचाने के लिए यह बहुत उपयोगी है.
2) धूप में जाने से पहले अधिक से अधिक पानी पी कर जाएं.
3) धूप में जाते समय गर्दन का पिछला भाग ढंक कर रखें.