सत्यपाल राजपूत, रायपुर. अंतरराज्यीय बस टर्मिनल भाठागांव, रायपुर में पार्किंग के नाम पर गुंडागर्दी जारी है. अधिकारियों को सूचना देने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही है. यात्रियों का कहना है कि बस स्टैंड पर गाड़ी लेकर पहुंचने पर पार्किंग शुल्क लिया जाता है. 10 मिनट के पिकअप ड्रॉप के लिए छूट का प्रावधान है, लेकिन पार्किंग ठेकेदारों के कर्मचारी राशि वसूल रहे है. पार्किंग वालों की गुंडागर्दी से त्रस्त हैं. महापौर और कमिश्नर के संज्ञान में लाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही.

यात्रियों ने अब सवाल उठाने लगे हैं कि कहीं अधिकारी और जनप्रतिनिधि के सह पर तो वसूली नहीं हो रही? यात्री प्रसन्ना चोपड़ा ने बताया, मैं अपनी पत्नी को बस स्टैंड छोड़ने आया हूं. मुझे बस के पास छोड़ के वापस लौट जाना था. इस बात को मैंने पार्किंग वाले को भी बताया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा, पैसा नहीं देना है तो गाड़ी बाहर रखो. पैदल जाओ अंदर गाड़ी लेकर जाओगे तो आपको पार्किंग चार्ज देना होगा.

यात्री ने बताया, बहुत बोलने के बाद भी नहीं मानें और पार्किंग वाले दुर्व्यवहार करने लगे तो मैं पार्किंग चार्ज दिया और अपनी पत्नी को बस स्टैंड में छोड़कर वापस गया. यहां तो खुलेआम वसूली की जा रही है. हम एयरपोर्ट जाते हैं तो भी वहां पिकअप ब्लॉक की सुविधा होती है, लेकिन यहां वसूली की जा रही है. अगर हम बाहर खड़ा करते हैं तो यातायात वाले आकर गाड़ी उठाकर ले जाते हैं और अंदर आते हैं तो पार्किंग के नाम पर वसूली हो रही है, इन पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है ?

अवैध वसूली पर कार्रवाई की जाएगी : अपर आयुक्त

वहीं जोन क्रमांक छह का कार्यालय बस स्टेशन में ही खोला गया है. कार्यालय जाने वाले आम पब्लिक रोज-रोज की वसूली से परेशान हैं. बगैर पार्किंग शुल्क लिए अंदर नहीं जाने दिया जाता है. इस मामले को लेकर लल्लूराम डाॅट काम की टीम ने नगर पालिका निगम के अपर आयुक्त सुनील चंद्रवंशी बातचीत की. उन्होंने कहा कि 10 मिनट का पिकअप और ड्रॉप के लिए नि शुल्क अंदर जाने का प्रावधान रखा गया है, जो टेंडर के नियम एवं शर्तों में भी है. पहले भी शिकायत आई थी उस पर हमने नियमानुसार पेनाल्टी लगाया था. अगर गलत तरीके से शुल्क लिया जा रहा है तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

क्यों नहीं लगा है बोर्ड…

पार्किंग के नाम पर वसूली को लेकर पहले भी शिकायत की गई है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. दो-चार हजार का चालान भेजकर मामले को दबा दिया जाता है. अब सवाल यह उठ रहा है कि जब 10 मिनट तक के लिए पिकअप ड्रॉप का प्रावधान है तो इसका बोर्ड प्रवेश स्थल पर क्यों नहीं लगाया गया है और बोर्ड नहीं लगने के बावजूद अधिकारी इन पर क्यों मेहरबान हैं ? कार्रवाई क्यों नहीं रही है?

कहां गया 10 लाख ?

पीकअप एवं ड्रॉप और जोन कार्यालय में जाने के लिए अलग से रास्ता बनाने दस लाख रुपए स्वीकृत किया गया था, लेकिन सालभर बाद भी अब तक व्यवस्था नहीं बनी. इसका फायदा पार्किंग ठेकेदार उठा रहा है.