रांची। झारखंड विधानसभा में एंटी मॉब लिंचिंग बिल पारित होने के 15वें दिन राज्य के सिमडेगा जिला अंतर्गत कोलेबिरा थाना क्षेत्र के बेसराजारा बाजार में मॉबलिंचिंग की खौफनाक वारदात ने सबको हिला कर रख दिया है। मंगलवार को यहां पंचायत की फरमान पर 34 वर्षीय युवक संजू प्रधान नामक शख्स को लाठी-डंडों और पत्थरों से मारकर अधमरा करने के बाद उसे लकड़ी के ढेर पर डालकर जिंदा जला दिया गया था। संजू प्रधान की पत्नी सपना ने आरोप लगाया है कि उसने मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों से गुहार लगायी थी, लेकिन वे मूकदर्शक बने रहे। उनके सामने ही उसके पति ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। उसके पति की पिटाई और उसे आग में झोंक देनेवाले लोग वहीं जमे रहे, पर पुलिस ने भीड़ को हटाने के लिए हवाई फायरिंग तक नहीं की। इधर सिमडेगा के एसपी शम्स तबरेज ने कहा है कि पुलिस घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची थी, इसके बाद आग बुझाकर उसकी लाश बरामद की गयी।
संजू प्रधान की पत्नी ने बुधवार को गांव पहुंचे जिले के उपायुक्त सुशांत गौरव के सामने रो-रोकर घटना की पूरी कहानी बयां की। उसने बताया कि मंगलवार दोपहर लाठी-डंडों से लैस दर्जनों लोग उसके घर पर आये और संजू प्रधान को जबरन अपने साथ ले गये। सारे लोग पास के बंबलकेरा गांव के रहने वाले थे। संजू को पंचायत में ले जाया गया और पेड़ की कटाई का आरोप लगाते हुए उसकी पिटाई की जाने लगी। संजू की मां धनमईत देवी और पत्नी सपना का कहना है कि उसपर झूठा आरोप लगाया गया। ऐसा इसलिए कि वह इलाके में गोकशी और हब्बा-डब्बा जुआ का विरोध किया करता था। उसने घर बनाने के लिए पैसे देकर पेड़ काटा था, लेकिन उसे अपराधी ठहरा दिया गया।
उसे पहले भी जान से मारने की धमकी दी गयी थी। भीड़ ने जब 34 वर्षीय संजू की पिटाई शुरू की तो उसकी पत्नी और मां ने रो-रोकर उसे छोड़ देने की गुहार लगायी। संजू भी भीड़ से जान की भीख मांगता रहा, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। पिटाई के बाद जब वह बेबस हो गया तो लकड़ी का ढेर इकट्ठा कर आग लगायी गयी और संजू को आग की लहरों के बीच फेंक दिया गया। सपना ने उपायुक्त और एसपी से कहा कि लोगों को बहकाने के पीछे ग्राम प्रधान सुबन बूढ का हाथ है।
इधर, गांव के लोगों का कहना है कि इलाके में आदिवासी परंपरा के अनुसार खूंटकट्टी का नियम लागू है। कोई भी व्यक्ति खूंटकट्टी पंचायत के बिना पेड़ नहीं काट सकता। संजू बार-बार चेतावनी के बावजूद पेड़ काट रहा था। वन विभाग को भी उसके बारे में जानकारी दी गयी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। पंचायत में उससे पेड़ कटाई के बारे में पूछा गया तो उसने अपनी गलती से इनकार कर दिया। तब उत्तेजित भीड़ ने उसने मार डाला।
बहरहाल, इस घटना के बाद पूरा गांव छावनी में तब्दील हो गया है। पुलिस ने 13 नामजद लोगों के अलावा डेढ़-दो सौ अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस मामले की जांच कर कार्रवाई का आदेश दिया है।
दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इस घटना को लेकर राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि राज्य की कानून व्यवस्था सरकार के हाथ से निकल गयी है। इसे एक मिनट भी शासन में रहने का अधिकार नहीं है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा है कि झारखंड में जंगल राज कायम हो गया है। सरकार ने सिर्फ तुष्टिकरण के लिए मॉबलिंचिंग के खिलाफ बिल पारित कराया है, जबकि जमीनी तौर पर कानून-व्यवस्था से सरकार का कोई वास्ता नहीं है।