कुमार इंदर, जबलपुर। कोरोना के कहर बाद अब डेंगू के डंक ने लोगों को हलाकान करके रख दिया है. इसी बीच जबलपुर में भी डेंगू ने पैर पसारना शुरू कर दिया है. डेंगू के चलते हालत यह है कि शहर के कई निजी और सरकारी अस्पताल भर चुके हैं. सरकारी अस्पतालों की हालत यह है कि एक बेड पर दो से तीन बच्चे एडमिट कराए गए हैं.
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अस्पतालों का आलम यह है कि कोरोना के कहर के बाद अब डेंगू का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं. शहर के कई निजी अस्पतालों पर आरोप लग रहे हैं कि वह डेंगू के इलाज के नाम पर लूट कर रहे हैं. यहां तक कि प्लेटेलेस चेकअप के नाम पर लोगों का 15 से 20 हजार का बिल बनाया जा रहा है. तमाम लोगों से टेस्ट के नाम पर भारी उगाही की जा रही है. अब आलम यह है कि इलाज कराने में आसमर्थ लोग निजी अस्पतालों में लूटा महसूस होने के बाद सरकारी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं.
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सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब तक डेंगू के 173 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं. हालात बदतर तब हो रहे हैं, जब डेंगू के मरीजों को प्लेटलेट्स के लिए भटकना पड़ रहा है. सरकारी अस्पताल में पर्याप्त मशीनें उपलब्ध न होने की वजह से उचित दाम पर प्लेटलेट्स नहीं मिल पा रहे. इसका सीधा-सीधा फायदा निजी पैथोलॉजी वाले उठा रहे हैं.
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आपको बता दे कि शहर में वर्तमान में 5 ब्लड बैंक हैं. जिसमें से 3 सरकारी है. स्थिति ये है कि शहर के ब्लड बैंकों में अफरा-तफरी का आलम है. वहां प्लेटलेट्स के लिए जरूरी एसडीपी (सिंगल डोनर प्लेटलेट) किट का ही टोटा पड़ गया है. यदि प्लेटलेट्स की व्यवस्था हो भी जाती है तो किट के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.
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