रामेश्वर मरकाम, धमतरी। मरीजों को एक छत के नीचे डाॅक्टर मिल सके और उन्हे इलाज के लिए भटकना न पड़े इसके लिए धमतरी में 43 लाख रू की लागत से ओपीडी भवन बनाया गया है लेकिन यह भवन महज ढाई सालों में ही दम तोड़ने लगा है । भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े इस भवन के दीवारों में दरारें आने लगी है और भवन धसकने भी लगा है जिसकी वजह से यह भवन कभी भी बड़े हादसे का सबब बन सकता है । ऐसा नही है कि यह भवन शुरूआती दौर से ही अच्छा बना था यहां भवन के लोर्कापण बाद से ही इसमें दरारे आने शुरू हो गए थे । जिसको लेकर भष्ट्राचार की शिकायते सामने आ चुकी है लेकिन बावजूद इसके विभागीय अमला ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

ये तस्वीर है स्वास्थ्य मंत्री अजय चन्द्राकर के गृह जिले के सबसे बड़े जिला अस्पताल की जहां रोजाना कांकेर बालोद कोंडागांव सहित जिलेभर से हजारों मरीज इलाज कराने पहुंचते है । मौजूदा वक्त से पहले यहां मरीजों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था जिसको देखते हुए यहां लंबे समय से ओपीडी भवन की मांग होती रही । लोगों की मांग पर ओपीडी भवन के लिए शासन से करीब 43 लाख रू की मंजूरी मिली।

जिसके बाद निर्माण एंजेसी पीडब्ल्यूडी विभाग ने साल भर मे ही भवन को बनाकर तैयार कर दिया और बकायदा 2014 में प्रभारी मंत्री के करकमलों से भवन का शुभारंभ भी कराया गया लेकिन भवन को बने आज तीन बरस भी नहीं हुआ कि बड़ी बड़ी दरारे दिखने लगा है । आलम ये है कि दीवारो की लम्बी लम्बी दरारो से अब जमीन पर लगी टाइल्स भी टूटने के कगार पर है वही डॉक्टर भी इस भवन ज्यादा देर तक बैठने से कतराते नजर आते है । ऐसे में सवाल उठना लाजमी है कि भवन निर्माण के समय अधिकारियों ने निर्माण की गुणवत्ता का ख्याल क्यो नही रखा गया ?क्या ठेकेदार को लाभ पहुँचाने के लिए कोई जांच नही की गई?

पीसीसी सचिव आनन्द पवार ने भ्रष्टाचार के नियत से भवन बनाये जाने का आरोप लगाया है वही स्वास्थ्य और पीडब्ल्यूडी के आला अधिकारियो पर लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया है वैसे जिला स्वस्थ्य महकमा गुणवत्ताहीन निर्माण होने से साफ तौर पर नकार रहे है और सीमेन्ट मे इस तरह से दरारें आना आमबात बताकर मरम्मत करवाने की बात कह रहे है।