आशुतोष तिवारी, जगदलपुर। बस्तर के सरकारी हॉस्टलों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। पश्चिम टेमरा गांव स्थित आदिवासी बालक आश्रम से चौथी कक्षा में पढ़ने वाला 11 वर्षीय छात्र बीरेंद्र कश्यप रविवार सुबह से लापता है। लापरवाही का आलम ये है कि 24 घंटे बाद भी न तो प्रशासन के पास छात्र का कोई सुराग नहीं है, जिससे परिजनों की चिंता और बढ़ गई है।

यह हॉस्टल आदिम जाति एवं अनुसूचित जनजाति विकास विभाग द्वारा संचालित 100 सीटर बालक आश्रम है, जो कुरूसपाल पंचायत के अंतर्गत आता है। बच्चा दोपहर 11 बजे के आसपास आश्रम से अचानक गायब हो गया। हॉस्टल अधीक्षक ने परिजनों को सूचना दी, जिसके बाद खुद परिजन रातभर तलाश में जुटे रहे, लेकिन सोमवार दोपहर तक भी बच्चे का कोई पता नहीं चल पाया है। परिजनों ने लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि हॉस्टल में बच्चों की निगरानी का कोई मजबूत इंतज़ाम नहीं है और स्टाफ बच्चों पर ध्यान नहीं देता।

बीरेंद्र की गुमशुदगी की रिपोर्ट घोटिया चौकी में दर्ज करा दी गई है, लेकिन अब तक न कोई ठोस कार्रवाई नज़र आई है, न ही पुलिस की कोई ठोस रणनीति। बस्तर जैसे आदिवासी बहुल और संवेदनशील क्षेत्र में बच्चों के लिए बने सरकारी हॉस्टलों में सुरक्षा इंतज़ाम पहले भी सवालों के घेरे में रहे हैं। अब यह मामला सिस्टम की जिम्मेदारी और संवेदनशीलता दोनों पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है।