दिग्गज एक्टर मनोज कुमार (Manoj Kumar) की आज 88वीं बर्थ एनिवर्सरी है. उनको भारत कुमार के नाम से भी जाना जाता था. इसी साल 4 अप्रैल को दिवंगत एक्टर ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. उनका असली नाम मनोज कुमार (Manoj Kumar) नहीं बल्कि हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी था. उनका जन्म पाकिस्तान के ऐब्टाबाद में हुआ था. आइए जानते हैं कि वो बॉलीवुड के ‘भारत कुमार’ कैसे बने.

दिलीप कुमार की वजह से बने ‘मनोज कुमार’

बता दें कि हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी से मनोज कुमार (Manoj Kumar) बनने के पीछे एक मजेदार किस्सा है. स्कूल में पढ़ाई के दौरान वो दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ (Shabnam) देखने गए थे. दिलीप साहब के किरदार उनको इतना भा गया कि उन्होंने अपना नाम ही उस किरदार के नाम पर मनोज कुमार रख लिया था.

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ऐसे बने मनोज कुमार से ‘भारत कुमार’

वहीं, एक समय जहां लोगों को एक्टर्स की रोमांटिक छवि पसंद आती थी, तो उस समय मनोज कुमार (Manoj Kumar) ने देशभक्ति की फिल्मों की ओर रुख किया था. उन्होंने पूरब और पश्चिम, शहीद, उपकार, क्रांति और जय हिंद जैसी एक से बढ़कर एक देशभक्ति की फिल्में अपने करियर में दी हैं. तो वहीं, कई फिल्मों में उनके किरदार का नाम ‘भारत कुमार’ होता था. यही कारण है कि लोग उन्हें ‘भारत कुमार’ भी कहने लगे थे.

19 साल की उम्र में निभाया 90 साल के भिखारी का पहला रोल

बता दें कि मनोज कुमार (Manoj Kumar) जब सिर्फ 19 साल के तब उन्होंने 90 साल के एक भिखारी का किरदार निभाया था. पहली बार कैमरा फेस कर रहा 19 साल का लड़के को कैसे 90 साल के भिखारी का रोल कैसे मिला इसके पीछे की कहानी खुद मनोज कुमार ने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था. उनका कहना था कि पहली बार कैमरा फेस करने पर वो काफी डरे हुए थे. कैमरा देखकर लगता था मानो तोप का कोई गोला चलेगा, टांगें कांपती थी.

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मनोज कुमार ने किया था सरकार का विरोध, फिल्म पर लगा बैन

साल 1975 में देश में लगी इमरजेंसी के दौर में मनोज कुमार (Manoj Kumar) ने सरकार का खुलकर विरोध किया था. तब उन्हें इमरजेंसी के समर्थन में डॉक्यूमेंट्री बनाने के लिए कहा गया तो उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया था. इसका बाद साल 1976 में जब उनकी फिल्म ‘दस नंबरी’ होने वाली थी, तब उसपर बैन लगा दिया गया था. लेकिन बाद में कोर्ट जाकर उन्होंने अपनी लड़ाई जीती और फिल्म रिलीज हुई.