सशस्त्र बलों में भर्ती के दौरान दाहिनी भुजा पर टैटू होने वाले अभ्यर्थियों को अयोग्य घोषित किए जाने की प्रक्रिया पर दिल्ली हाई कोर्ट(Delhi High Court) ने सवाल उठाया है। कोर्ट ने कहा कि भर्ती मानकों में यह स्पष्ट किया गया है कि दाहिने हाथ पर टैटू होने पर उम्मीदवार चयन से बाहर हो जाता है, जबकि बाईं भुजा पर टैटू होने की स्थिति में भर्ती की अनुमति दी जाती है। कोर्ट ने पूछा कि इस भेदभावपूर्ण मानक का आधार आखिर क्या है?
सुनवाई के दौरान अदालत ने संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगते हुए कहा कि भर्ती मानकों का तार्किक, चिकित्सकीय और प्रशासनिक आधार स्पष्ट होना चाहिए। यदि दोनों हाथ एक ही शरीर का हिस्सा हैं, तो एक हाथ पर टैटू को अयोग्य और दूसरे पर योग्य मानने का कारण बताना आवश्यक है। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि टैटू का होना अपने आप में सैन्य सेवा की योग्यता को निर्धारित नहीं करता, इसलिए इसके पीछे मौजूद व्यवहारिक और पेशेवर तर्क स्पष्ट किए जाएं।
जस्टिस सी. हरिशंकर और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा कि भर्ती मानकों के अनुसार दोनों भुजाओं पर टैटू को लेकर किया गया अंतर मनमाना प्रतीत होता है। कोर्ट ने पूछा कि “आखिर किस आधार पर दाहिनी भुजा पर टैटू को अयोग्यता माना जा रहा है, जबकि बाईं भुजा पर टैटू होने पर उम्मीदवार को योग्य माना जाता है?” अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि सशस्त्र बलों की भर्ती में टैटू को प्राथमिक आधार बनाना तर्कसंगत नहीं दिखता, जब तक इसके पीछे कोई चिकित्सकीय या संचालन संबंधी कारण स्पष्ट न किया जाए।
फिर भी, कोर्ट ने अभ्यर्थी की याचिका को यह कहते हुए खारिज किया कि वह भर्ती प्रक्रिया के निर्धारित नियमों के अनुरूप नहीं था, इसलिए राहत नहीं दी जा सकती। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि “नियमों की तार्किकता पर सवाल जरूर है, लेकिन कोर्ट चयन मानकों में सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकता।”
टैटू हटाने के लिए सर्जरी को तैयार था अभ्यर्थी
विपिन कुमार ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) में मोटर मैकेनिक व्हीकल पद के लिए आवेदन किया था। चयन प्रक्रिया के दौरान मेडिकल परीक्षण में उनकी दाहिनी भुजा के आगे वाले हिस्से पर टैटू होने के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। विपिन कुमार ने कोर्ट में कहा कि वह टैटू को हटाने के लिए सर्जरी करवाने को तैयार हैं। भर्ती नियमों में बाईं भुजा पर टैटू की अनुमति है, लेकिन दाहिनी भुजा पर प्रतिबंध समझ के परे है। उन्होंने इसे भेदभावपूर्ण और अव्यावहारिक नियम बताया।
गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार:
टैटू केवल ‘पारंपरिक स्थानों’ पर ही स्वीकार्य हैं।
यह स्थान फोरआर्म (भुजा) के भीतरी हिस्से को माना गया है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि यह ‘पारंपरिक स्थान’ सिर्फ बाईं भुजा के लिए मान्य है, दाहिनी भुजा पर वही टैटू अयोग्यता की वजह बन जाता है।
जस्टिस सी. हरिशंकर और ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने कहा “फिलहाल, हम यह समझ नहीं पा रहे हैं कि किसी उम्मीदवार के दाहिने हाथ पर टैटू होने मात्र से उसे सेना या सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए कैसे अयोग्य ठहराया जा सकता है।”
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