टोक्यो। ‘मैं थोड़ा दुखी हूं क्योंकि ये सेमीफाइनल था, लेकिन मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश की. ये मेरा दिन नहीं था.’ सेमीफाइनल में ताइपे की खिलाड़ी ताई त्जू यिंग से हार के बाद पीवी सिंधु ने अगला ही दिन अपने नाम कर लिया, जब उन्होंने कांस्य पद के लिए चीनी खिलाड़ी ही बिंग जियाओ को सीधे गेट में पराजित किया. पीवी सिंधु इस जीत के साथ ही दो ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला बन गई हैं. इसके पहले सिंधु ने रियो ओलंपिक में रजत पदक हासिल किया था.
पुसरला वेंकट सिंधु इस जीत के साथ ही उस मुकाम पर पहुंच गई हैं, जहां अब तक कोई दूसरा भारतीय खिलाड़ी नहीं पहुंच पाया है. 5 जुलाई, 1995 को तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में पैदा हुई पीवी सिंधु के माता-पिता राष्ट्रीय स्तर के वॉलीबॉल खिलाड़ी थे, उनके पिता पीवी रमाना ने 1986 के सियोल एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था. नतीजतन शुरू से ही सिंधु का झुकाव खेलों की ओर है.
भले ही उनके माता-पिता वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हों लेकिन बैडमिंटन में पुलेला गोपीचंद के प्रदर्शन को देखकर पीवी सिंधु ने अपने हाथ में बैडमिंटन थाम लिया और आठ साल की उम्र में ही वो इस खेल को नियमित रूप से खेलने लगीं. समय बदला और युवा पीवी सिंधु ने पुलेला गोपीचंद की अकादमी से जुड़ गईं, जहां पीवी सिंधु का खेल देखने के बाद गोपीचंद हैरान थे.
अखिल भारतीय रैंकिंग चैंपियनशिप और सब-जूनियर नेशनल जैसे जूनियर बैडमिंटन खिताब जीतकर सिंधु ने स्पष्ट कर दिया कि वो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने के लिए तैयार हो चुकी हैं. 2009 में पीवी सिंधु ने सब-जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और एक साल बाद ईरान में अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन चैलेंज में एकल स्पर्धा में रजत पदक जीता.
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पीवी सिंधु की खास बात यह है कि उनके खेल में लगातार सुधार देखने को मिला. 2012 की एशियन जूनियर चैंपियनशिप में ये पहली बार स्पष्ट हुआ, जब उन्होंने एक साल पहले उसी टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीता और फिर अगले साल स्वर्ण पदक जीता.
यही नहीं विश्व चैंपियनशिप जैसे बड़े टूर्नामेंट में भी यही बात दोहराई. 2013 और 2018 के बीच दो कांस्य और दो रजत पदक के बाद, उन्होंने 2019 में जापान की नोज़ोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराकर स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा किया. वहीं 2014 में अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में सिंधु ने महिला एकल में कांस्य जीता. चार साल बाद गोल्ड कोस्ट में 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने एकल में रजत और मिश्रित टीम बैडमिंटन स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया.
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि रियो 2016 में रजत पदक जीतना रहा. राउंड -16 में ताई त्ज़ु यिंग को बाहर करने के बाद उन्होंने दूसरी वरीयता प्राप्त वांग यिहान को क्वार्टर फाइनल और जापानी स्टार नोज़ोमी ओकुहारा को सेमीफाइनल में हराया. फाइनल में वो गोल्ड मेडल जीतने से चूक गईं, जहां उन्हें स्पेन की कैरोलिना मारिन से हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, भारतीय शटलर ने तीनों सेटों में स्पैनिश खिलाड़ी को ज़ोरदार टक्कर दी, लेकिन उनका रजत पदक भी देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी.