रायपुर. राजधानी के नवीन विश्राम गृह में चल रहे तीन दिवसीय सखी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज समापन किया गया. समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता महिला एवं बाल विकास विभाग के एडिशनल डायरेक्टर पद्मिनी भोई ने की. पद्मिनी भोई ने वन स्टॉप सखी सेंटर की जरूरत और महत्व को विस्तार से उपस्थित सभी सखियों को बताया. समाज में लैंगिक न्याय और उत्थान के लिए कार्य के विषय में सभी सखियों ने मिलकर प्रक्षिक्षण कार्यक्रम के दौरान सारगर्भित विचारों का आदान-प्रदान किया.

आईआईएफ की प्रबंध निदेशक पल्लवी पारीक ने कहा कि ‘कानून किसी कारण के लिए बनाए जाते हैं और कार्यान्वित नहीं किये जाने पर और उनके लक्षित लाभार्थियों को सूचित नहीं किए जाने पर, वे अपने अस्तित्व के अर्थ और सार को खो देते हैं. छत्तीसगढ़ सरकार का महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानूनों को लागू करन और वन-स्टॉप केंद्र की स्थापना करना, समाज में लैंगिक हिंसा को समाप्त करने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है.’

आईआईएफ की प्रबंध निदेशक एडव्होकेट ईशा शेखर ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ‘वन-स्टॉप केंद्र पीड़ित महिलाओं को सुविधापूर्ण न्याय दिलाने के लिए अनिवार्य है और यह महत्वपूर्ण है कि उनके सदसयों के प्रशिक्षण में पर्याप्त समय का निवेश किया जाए. इससे पहले कि इन केंद्रों में महिलाओं को सुविधा प्रदान की जाए. यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इन केन्द्रों के सदस्य इस भूमिका के लिए आवश्यक कानूनी, तकनीकी और व्यवहारिक तत्वों से अच्छी तरह से वाकिफ हों. हम छत्तीसगढ़ के महिला एवं बाल विकास विभाग की इस पहल का हिस्सा बनने पर गौरवान्वित हैं.’

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला और वर्तमान में एकमात्र राज्य है जो अपने सभी 27 जिलों में शोषित महिलाओं की समूची और उच्चतम सहायता के लिए वन-स्टॉप सखी केन्द्रों का गठन कर चुका है. राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए दिल्ली में आधारित संगठन ‘अन्जेंडर’ की गैर लाभकारी शाखा ‘इनिशिएटिव्ज फॉर इन्क्लुज़न फाऊंडेशन (आई.आई.ऍफ़.)’ के साथ भागीदारी की है. ‘अन्जेंडर’ कार्यस्थल पर महिलाओं का लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, और अन्य लैंगिक समीकरण कानूनों के प्रभावशाली कार्यान्वयन के क्षेत्र में कार्यरत हैं. इस विशेष पहल के तहत इस दिसंबर महीने में दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा और बस्तर जोन में भी प्रशिक्षण सत्रों का आयोजन किया जाएगा.