रायपुर. मनुष्य जीवन बड़ी कठिनाई से प्राप्त होता है और इस हीरा सरीखे जीवन के सामने, संसार का संपूर्ण ऐश्वर्य तुच्छ है. रुपये, पैसे, जमीन-जायदाद आदि जो धन माने गये हैं. मनुष्य उनकी कीमत तो समझता है, लेकिन जिस जीवन- धन के लिए इन धनों की आवश्यकता है उसकी कीमत नहीं समझता. धनों की तो मनुष्य बहुत सुरक्षा करता है, लेकिन जीवन- धन की सुरक्षा के लिए वह चिंतित नहीं होता.

जीवन धन अर्थात् मनुष्य का शरीर, उसका मन, आत्मा और उसके इस संसार में उपयोगिता. महात्मा गांधी ने भी कहा है कि सात चीजें हमारा जीवन बर्बाद कर देती हैं. बिना मेहनत के धन, बिना विवेक के सुख, बिना सिध्दांतों के राजनीति, बिना चरित्र के ज्ञान, बिना नैतिकता के व्यापार, बिना मानवता के विज्ञान, बिना त्याग के पूजा.

इस प्रकार प्राप्त इस जीवन को बेहतर बनाने का प्रयास हर मानव को करना चाहिए. जीवन-धन को बेहतर करने एवं अपने जीवन को सदुपयोगी बनाये रखने के लिए व्यक्ति को अपनी कुंडली का विश्लेषण कराना चाहिए. इसमें विशेष कर लग्न, तृतीयेश, पंचमेंश, सप्तेश, भाग्येश एवं एकादशेश के ग्रह एवं इन स्थानों के ग्रह स्वामी की स्थिति यदि अनुकूल होती है तो व्यक्ति का स्वास्थ्य, मन, एकाग्रता, साथ, भाग्य एवं दैनिक जीवन के सुख-दुख अनुकूल होता है. यदि प्रतिकूल हो तो जीवन में इनसे संबंधित कष्ट आता है.

जैसे शरीर की कद्र ना करें तो स्वास्थ्य खराब होना, नैतिकता ना रखने से प्रतिष्ठा खराब होना या आदर्श ना रखने से अपनो से दुख प्राप्त होना.

इस प्रकार मानव जीवन में सभी सुख और साधन प्राप्त करने के लिए इन स्थानों में से जो स्थान या ग्रह प्रतिकूल हों तो उसे अनुकूल करने के लिए ग्रह शांति कराने के लिए संबंधित ग्रह का मंत्रजाप, दान एवं हवन-पूजन कराना चाहिए. मानव धन का सदुपयोग करने के लिए जरूरत मंदों की सहायता करना, सूक्ष्म जीवों की सेवा करना, जप-तप-दान-यज्ञ करना चाहिए.