अमित कोड़ले, बैतूल। मध्य प्रदेश में एक ओर जहां शिक्षा को लेकर जागरूक किया जाता है तो वहीं जब बच्चे पढ़ाई करने स्कूल जाते हैं तो उन्हें टपकती हुई छत के नीचे पढ़ाई करनी पड़ती है। ऐसी ही हालत बैतूल जिले में संचालित स्कूलों की है। जहां कहीं स्कूलों की छत से पानी टपक रहा है तो कहीं छत का छज्जा ही गिर रहा है। ये हालत एक नहीं बल्कि 431 स्कूलों की है।

जिले में स्कूलों की काफी खराब है। कुछ स्कूलों की छत से पानी टपक रहा है तो कुछ की छत का छज्जा ही गिर रहा है। हालात यह है कि शिक्षक स्कूलों में पन्नी लगाकर पढ़ाई करवाने को मजबूर है। बैतूल जिले में ऐसे एक दो स्कूल नहीं बल्कि 431 प्राथमिक और माध्यमिक शालाएं हैं। जो जर्जर स्थिति में है। देखिए इन मामलों को।

पहला मामला

पहला मामला जिला मुख्यालय का ही है। जहां के गंज प्राथमिक शाला का भवन बारिश के कारण पूरी तरह से टपक रहा है। हालत यह है कि शिक्षक एक कमरे में पांच क्लास को पन्नी लगाकर पढ़ाई करवाने को मजबूर है।

दूसरा मामला

दूसरा मामला भीमपुर ब्लॉक के प्राथमिक शाला आदर्श पिपरिया का है। जहां पर छत से टपकता पानी और जगह-जगह से गिरते छत के प्लास्टर के बीच मासूम बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर है।

इन स्कूलों के शिक्षकों की माने तो उन्होंने कई बार विभाग के अधिकारियों को लिखित और मौखिक जानकारी दी है। लेकिन अभी तक उनकी सुनवाई नहीं की गई है। वही मासूम छात्रों की माने तो दहशत के बीच वह इन स्कूलों में पढ़ने को मजबूर है। इस मामले में जिले के डीपीसी का कहना है कि उन्होंने जिले के 431 प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं के मरम्मत कार्य के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है और अन्य मदों से भी इन शालाओं को दुरुस्त करने के प्रस्ताव भेजे गए हैं। जिनकी स्वीकृति मिलने पर इनका सुधार कार्य किया जाएगा। अब देखना यह होगा कि कब तक मासूम बच्चे इस तरह डर के बीच में अपनी शिक्षा हासिल करते हैं।

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