रायपुर। हत्या के फर्जी मुकदमे से बरी होने और मानवाधिकार आयोग के निर्देश पर राज्य शासन से मुआवजा पाने वाले सभी छह मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने मुआवजे की राशि का उपयोग आदिवासी क्षेत्रों में जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष कर रहे लोगों और आंदोलनों की मदद के लिए करने का फैसला किया है. इसके साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर तत्कालीन आईजी एसआरपी कल्लूरी के खिलाफ कार्रवाई की भी मांग की है.

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र को मीडिया के लिए जारी करते हुए बताया कि पत्र में उनके साथ दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. नंदिनी सुंदर, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की प्रो. अर्चना प्रसाद व प्रगतिशील आंदोलन से जुड़े साहित्यकार-बुद्धिजीवी विनीत तिवारी ने संयुक्त रूप से कहा है कि उन्हें शामलाल बघेल की हत्या के मामले में फंसाने की साजिश में तत्कालीन आईजी कल्लूरी की भूमिका रही है, इसलिए उनके कार्यकाल में बस्तर में हुई मुठभेड़ों और गिरफ्तारियों की सघन जांच करवाई जाए.

उल्लेखनीय है कि पिछले माह ही राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को शामलाल बघेल की हत्या मामले में फर्जी तरीके फंसाए जाने से पीड़ितों को हुई मानसिक प्रताड़ना के लिए एक-एक लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश जारी किया था.