धमतरी। पुरानी कृषि उपज मंडी में आचार्यश्री महाश्रमण जी ने कहा कि जैन धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव ने गृहस्थ जीवन जीने के साथ ही आत्मकल्याण के लिए साधु जीवन को भी अपनाया है. तत्व ज्ञान के साथ ही सम्यक ज्ञान का भी होना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि भगवान महावीर ने विश्व को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया है. अहिंसा को अपनाकर ही मानवता पर उपकार कर सकते हैं, इसलिए महावीर के संदेश को आत्मसात कर हमें जन-जन तक पहुंचाना है. जैन शासन की महिमा अपार है.
कार्यक्रम में जैन महिला मंडल की सदस्यों ने गुरूदेव को पुस्तक भेंट किया. इस दौरान जैनाचार्य ने दो ग्रंथों का विमोचन भी किया.
आचार्यश्री महाश्रमण जी धमतरी में दो दिन रूकने के बाद अहिंसा पदयात्रा की अगली कड़ी के लिए आज सुबह 7 बजे अग्रसेन भवन से रायपुर के लिए प्रस्थान किया.