श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी समूह हुरियत कांफ्रेंस के आजीवन चेयरमैन सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने आगे की योजना का खुलासा नहीं किया है.

सैयद अली गिलानी ने वर्तमान स्थिति को देखते हुए हुरियत से अलग होने के साथ इस बात की सूचना उन्होंने हुरियत के सभी घटकों को दिए जाने की बात कही है. बता दें कि गिलानी हुरियत के चरमपंथी समूह का नेतृत्व करते रहे हैं, तो दूसरी ओर नरमपंथी समूह का नेतृत्व मीरवाइज उमर फारुक करते हैं.

वर्ष 2013 से अपने श्रीनगर स्थित घर में नजरबंद किए गए 90 वर्षीय गिलानी पहले जमाते-ए-इस्लामी के साथ जुड़े थे. लेकिन बाद में इसे छोड़कर खुद का राजनीतिक संगठन तहरीक-ए-हुरियत बनाया. इसके बाद कश्मीर के मुद्दे को सुलझाने के लिए तरीकों में अंतर की वजह से गिलानी मीरवाइज से भी अलग हो गए.

गिलानी के इस्तीफे से जम्मू-कश्मीर की शांत राजनीतिक में एक बार फिर से हलचल हुई है. जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के साथ 35 ए को हटाए जाने के साथ जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग किए जाने से राजनीतिक माहौल बदल गया है. ऐसे में गिलानी के इस्तीफे के बाद स्थिति में क्या बदलाव आता है, देखने लायक होगा.