नई दिल्लीः पति-पत्नी के झगड़ों को लेकर तो तमाम खबरें आए-दिन देखने-सुनने को मिलती हैं, लेकिन एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने सुप्रीम कोर्ट को भी हैरान कर दिया है. इस मामले में पति-पत्नी ने एकदूसरे के खिलाफ 60 मुकदमे दायर कर रखे हैं.

41 साल के अंदर ये मुकदमे लोअर कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा देख चुके हैं. मुकदमों की ऐसी बाढ़ देखकर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने टिप्पणी की कि कुछ लोगों को लड़ने में मजा आता है.

वह हमेशा अदालत में ही रहना चाहते हैं. अगर वह अदालत का मुंह न देखें तो उन्हें नींद नहीं आती. अदालत के दखल के बाद दोनों पक्ष अब मध्यस्थता में मामला ले जाने को तैयार हो गए हैं.

जिस पति-पत्नी के झगड़ों को लेकर चीफ जस्टिस ने ये तीखी टिप्पणी की, उनकी शादी को 41 साल हो चुके हैं. इनमें से 11 साल से वे दोनों अलग रह रहे हैं. महिला अपने ससुर पर यौन शोषण का आरोप लगा चुकी है. पति-पत्नी इतनी बार अदालतों के चक्कर काट चुके हैं कि ये देखकर बेंच में शामिल जस्टिस हिमा कोहली भी चौंक गईं. उन्होंने कहा कि इस मामले में वकीलों की प्रतिभा की भी दाद देनी होगी.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ससुर के वकील ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों मान चुके हैं कि पति-पत्नी के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हैं. जब से बहू ने ससुर पर शोषण के आरोप लगाए हैं, उसका ससुराल में रहना संभव नहीं है. ऐसे में महिला चाहे तो वह इलाके में ही उसे एक घर दिलवा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने महिला के वकील से पूछा कि क्या वह समग्रता में मामले का सेटलमेंट कराना चाहते हैं या नहीं. इस पर महिला की तरफ से कहा गया कि वह मध्यस्थता में मामला ले जाने को तैयार हैं, लेकिन हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई को नहीं रोका जाना चाहिए.

इस पर बेंच ने कहा कि यह संभव नहीं है. लगता है कि आप लड़ने की बहुत ज्यादा इच्छुक हैं. लेकिन आप दोनों चीजें एकसाथ नहीं कर सकते. मध्यस्थता की प्रक्रिया की एक समयसीमा होती है.

सुप्रीम कोर्ट के समझाने पर दोनों पक्ष मध्यस्थता में मामला रखने के लिए राजी हो गए. कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के मध्यस्थता सेंटर को केस रेफर करते हुए कहा कि वह इस मामले की तेजी से सुनवाई करें और 6 हफ्तों के अंदर स्टेटस रिपोर्ट पेश करें.