खुद को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(Amit Shah) का भतीजा बताने वाले ठगी के आरोपी अजय कुमार नैय्यर को दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस गिरीश कठपालिया की अदालत ने कहा कि आरोपी पर लगे आरोप गंभीर प्रकृति के हैं, इसलिए उसे जमानत नहीं दी जा सकती। आरोप है कि नैय्यर ने एक कारोबारी को राष्ट्रपति भवन के नवीनीकरण के लिए चमड़ा सप्लाई करने का झांसा दिया और इसके एवज में केंद्र सरकार से 90 करोड़ रुपए का टेंडर दिलाने का आश्वासन दिया। शिकायतकर्ता को इसी लालच में फंसाकर आरोपी ने करीब 3.9 करोड़ रुपए की ठगी की थी। अदालत का कहना है कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को फिलहाल राहत नहीं दी जा सकती।
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जारी आदेश में जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा, “आरोपी व आवेदक (नैयर) के खिलाफ लगे आरोपों की प्रकृति और व्यापकता काफी ज्यादा है। साथ ही अभियोजन पक्ष IPC की धारा 467/471/120बी के तहत ऐसे आरोपों को भी जोड़ने पर विचार कर रहा है, जिसमें आजीवन कारावास का प्रावधान है। ऐसे में इस स्तर पर आरोपी को जमानत देना बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है।” अभियोजन पक्ष के मुताबिक नैय्यर ने खुद को अमित शाह का भतीजा बताकर एक कारोबारी को राष्ट्रपति भवन के नवीनीकरण के लिए चमड़ा सप्लाई करने का लालच दिया और 90 करोड़ रुपए का सरकारी टेंडर दिलाने का झांसा दिया। इसी बहाने कारोबारी से लगभग 3.9 करोड़ रुपए की ठगी की गई।
पारिवारिक मित्र के जरिए हुई थी आरोपी से मुलाकात
प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता की मुलाकात आरोपी से जालंधर जिमखाना क्लब में एक पारिवारिक मित्र के जरिए हुई थी। खुद को अमित शाह का भतीजा “अजय शाह” बताते हुए नैय्यर ने सरकारी ठेके का टेंडर दिलाने का भरोसा दिलाया। इसी दौरान आरोपी ने शिकायतकर्ता को उसकी कंपनी के नाम पर बना 90 करोड़ रुपए का डिमांड ड्राफ्ट दिखाया और प्रोसेसिंग फीस के नाम पर 2.5 करोड़ रुपए की मांग की।
आरोपी के दिए गारंटी वाले चेक भी फर्जी निकले
इसके बाद कई दौर की बैठकों में पीड़ित कारोबारी ने आरोपी पर भरोसा कर लिया और अलग-अलग मौकों पर नकद और RTGS के जरिए कुल 3.9 करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया। बदले में आरोपी ने बतौर गारंटी पीड़ित को कुछ चेक सौंपे, लेकिन बाद में वे सभी फर्जी निकले।
पीड़ित के वकील ने कहा हम नए आरोप जोड़ने पर सोच रहे
कई दौर की बैठकों के बाद पीड़ित कारोबारी ने आरोपी पर भरोसा कर लिया और अलग-अलग मौकों पर नकद व RTGS के जरिए कुल 3.9 करोड़ रुपए उसे दे दिए। बदले में आरोपी ने बतौर गारंटी कुछ चेक दिए, जो बाद में फर्जी निकले। रकम मिलने के बाद नैय्यर ने 127 करोड़ रुपए का एक और डिमांड ड्राफ्ट दिखाया और दावा किया कि टेंडर की कीमत बढ़ गई है। यहीं से पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ और उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दिसंबर 2021 में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
अभियोजन पक्ष की आपत्ति
अभियोजन पक्ष ने नैय्यर की जमानत का कड़ा विरोध किया। उसने अदालत को बताया कि चार्जशीट में संशोधन कर नए आरोप जोड़े जा सकते हैं, जिनमें आपराधिक षड्यंत्र और शिकायतकर्ता को गारंटी के तौर पर दिए गए जाली चेकों का इस्तेमाल शामिल है। ये गंभीर धाराएं हैं, जिनमें आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी के चार साल से हिरासत में होने का आधार महत्वहीन है और ऐसे में उसे जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
अभियोजन पक्ष ने बताया कि आरोपी ने पहले भी इसी तरह की ठगी का एक मामला निपटाया था, जिसमें उसने शिकायतकर्ता को 75 लाख रुपए लौटाए थे। इससे साबित होता है कि आरोपी का आपराधिक इतिहास है। अभियोजन ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि ऐसे गंभीर अपराध में हिरासत की अवधि जमानत का आधार नहीं बन सकती।
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