रायपुर- आईएएस डाॅक्टर आलोक शुक्ला को राज्य शासन की ओर से दी गई संविदा नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. इस मामले में रिट याचिका दाखिल करते हुए संविदा नियुक्ति को नियम विरूद्ध बताया है, हालांकि इस याचिका को अब तक स्वीकार नहीं किया गया है. बता दें कि शुक्ला 30 मई को ही रिटायर हुए थे.राज्य शासन ने रिटायरमेंट के अगले दिन ही उन्हें प्रमुख सचिव के रूप में संविदा नियुक्ति दी थी.
बीजेपी नेता नरेशचंद्र गुप्ता की ओर से वकील विवेक शर्मा ने हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल किया है. इस पिटीशन में संविदा नियुक्ति पर डाॅक्टर शुक्ला को लिए जाने की राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाया गया है. पिटीशन में कहा गया है कि बहुचर्चित नान घोटाले में शुक्ला का नाम शामिल हैं, ऐसे में उनकी पुनःनियुक्ति असंवैधानिक है. संविदा भर्ती नियम 2013 के मुताबिक रिटायर अधिकारी के विरूद्ध यदि कोई विभागीय या अन्य तरह की जांच लंबित है, तो उस अधिकारी को पोस्ट रिटायरमेंट संविदा नियुक्ति नहीं दी जा सकती. आलोक शुक्ला नान घोटाले में चार्टशीटेड हैं. उनके खिलाफ जांच जारी है. तत्कालीन मुख्य सचिव ने भी उनके खिलाफ निलंबन की सिफारिश की है.
1986 बैच के आईएएस अधिकारी डाॅक्टर आलोक शुक्ला को पूर्व की तरह स्कूल शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है. सरकार के आला अधिकारी कहते हैं कि स्कूल शिक्षा की बेहतरी के लिए शुक्ला द्वारा उठाए जा रहे कदमों से भूपेश सरकार खुश है. लाॅकडाउन के दौरान पढ़ई तुंहर द्वार जैसी योजना के जरिए राज्य सरकार के प्रयासों को देश में सराहना मिली है. इन सबके बीच सरकार ऐसे कार्यक्रम राज्य में जारी रखना चाहती है. शिक्षा गुणवत्ता को बढ़ाने राज्य में खोले जाने वाले सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल की रूपरेखा बनाने से लेकर इसके क्रियान्वयन तक की जिम्मेदारी शुक्ला के कंधों पर ही सरकार ने डाल रखा है. ऐसे में उनके रिटायरमेंट के बाद योजना खटाई में न पड़ जाए. यही वजह है कि डाॅक्टर शुक्ला को तीन सालों के लिए संविदा नियुक्ति दी गई.