रायपुर- नान घोटाला मामले में दर्ज किये गये एफआईआर के खिलाफ आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा की अग्रिम जमानत याचिका को एसीबी की विशेष अदालत ने खारिज कर दिया है. न्यायाधीश लीना अग्रवाल ने आज शनिवार को अग्रिम जमानत याचिका पर सुुनवाई के बाद टुटेजा को अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया.
गौरतलब है कि अनिल टुटेजा ने 27 नवंबर को विशेष न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी,जिसमें उन्होनें कई महत्वपूर्ण बिंदूओं के आधार पर न्यायालय से अग्रिम जमानत देने की गुहार लगाई थी. टुटेजा ने अपनी याचिका में कहा कि यह जीरो रिकवरी का केस था और ना ही उनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला ही बन सका है. उन्होनें अपने आवेदन में कहा था कि ना ही उन्होनें किसी से रिश्वत की मांग की थी और ना ही उनके खिलाफ किसी ने शिकायत ही की थी और ना ही उन्हें रंगे हाथों पकड़ा ही गया है.इतना ही नहीं नान के एमडी पद पर 8 महीने के उनके कार्यकाल के दौरान राज्य शासन को किसी तरह का नुकसान हुआ.टुटेजा ने याचिका में इस बात का भी जिक्र किया कि ऑडिट से भी यह साबित हुआ है कि नागरिक आपूर्ति निगम को उस दौरान 3 करोड़ रुपये का फायदा भी हुआ था.उन्होनें याचिका में इस बात का भी जिक्र किया कि उनके कार्यकाल के दौरान राज्य में कहीं भी घटिया स्तर के चावल सप्लाई का मामला सामने नहीं आया,बल्कि उस समय भी राष्ट्रीय स्तर पर छत्तीसगढ़ के पीडीएस सिस्टम की सराहना होती रही है और राज्य शासन को इसके लिये राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा गया.
अनिल टूटेजा के अधिवक्ता ठाकुर आनंद मोहन सिंह और पीयूष भाटिया ने न्यायालय के समक्ष विधानसभा में नान घोटाले के संबंध में पूछे गये प्रश्नों और इस संबंध में शासन द्वारा दिये गये जवाब को भी रखा और कहा कि शासन द्वारा दिये गये जवाब में भी किसी तरह का भ्रष्टाचार प्रमाणित नहीं होता. अधिवक्ताओं ने न्यायालय के समक्ष यह तर्क भी रखा कि मामले में कुल 212 गवाह बनाये गये हैं,जिनमें से अब तक 55 गवाहों के कथन लिये जा चुके हैं,लेकिन इनमें से एक ने भी एसीबी की थ्योरी को सपोर्ट नहीं किया है. इन तमाम तर्कों के आधार पर अनिल टुटेजा को अग्रिम जमानत देने का आग्रह किया गया,लेकिन न्यायालय ने नान घोटाले को गंभीर प्रकृति का मामला बताते हुए अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया.