IAS Pooja Khedkar: महाराष्ट्र (Maharashtra) कैडर की ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर (Trainee IAS Pooja Khedkar) एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। खेडकर विवादों में फंसती नजर आ रही हैं। अब उनकी नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। खेडकर पर नया आरोप है कि उन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए दिव्यांगता का सर्टिफिकेट दिखाया था। पूजा ने 2022 में UPSC का एग्जाम दिया था। उनकी ऑल इंडिया रैंक 821 आई थी।
यूपीएससी ने पूजा को दिल्ली के एम्स में मेडिकल जांच के लिए छह बार बुलाया, लेकिन वे नहीं गईं। कहा जाता है कि उन्हें किसी सेंटर से एमआरआई रिपोर्ट मिली और उसी के आधार पर वे कलेक्टर बन गईं. इसलिए उनका कलेक्टर बनना विवादास्पद हो सकता है।
पूजा खेडकर की आईएएस पोस्ट विवादों में घिर सकती है। यूपीएससी और कैट के विरोध के बावजूद उन्हें आईएएस पद कैसे दिया गया? उनकी नियुक्ति के पीछे किस राजनीतिक नेता का हाथ है? ऐसे सवाल अब उठ रहे हैं।
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परीक्षा में सिलेक्शन के बाद पूजा को दिव्यांगता की पुष्टि के लिए मेडिकल टेस्ट से गुजरना पड़ा, लेकिन पूजा खेडकर ने 6 अलग-अलग मौकों पर इन मेडिकल जांच प्रक्रिया में शामिल होने से इनकार कर दिया। Delhi AIIMS में उनकी पहली मेडिकल जांच 22 अप्रैल 2022 को थी, जिसे उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का दावा करते हुए छोड़ दिया। इसके बाद 26 और 27 मई को दिल्ली के AIIMS और सफदरजंग अस्पताल में होने वाली जांच को भी छोड़ दिया। वह लगातार इन जांचों से बचती रहीं और 1 जुलाई को एक और जांच में शामिल नहीं हुईं।
हालांकि वह 26 अगस्त 2022 को एक मेडिकल जांच के लिए सहमत हो गई थीं, लेकिन वह 2 सितंबर को एक जरूरी MRI के लिए नहीं आईं, इस MRI का मकसद पूजा की दृष्टि हानि (Visual Impairment) का आकलन करना था। इन मेडिकल जांच में शामिल होने के बजाय पूजा खेडकर ने एक बाहरी केंद्र से एक MRI की रिपोर्ट पेश की थी, जिसे UPSC ने अस्वीकार कर दिया था।
UPSC ने दी थी पूजा के चयन को चुनौती
इसके बाद UPSC ने सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) में उनके चयन को चुनौती दी, जिसने 23 फरवरी 2023 को उनके खिलाफ फैसला सुनाया। इसके बावजूद पूजा के MRI सर्टिफिकेट को स्वीकार कर लिया गया, जिससे उनकी IAS नियुक्ति की पुष्टि हुई। दिव्यांगता के दावों के अलावा पूजा खेडकर के ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर स्टेटस के दावों में भी विसंगतियां पाई गईं।
IAS के लिए कैसे क्वालिफाई किया, ये बड़ा सवाल
RIT कार्यकर्ता विजय कुंभार ने कहा कि पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर के चुनावी हलफनामे में उनकी संपत्ति 40 करोड़ रुपये बताई गई है, पिता की संपत्ति को देखते हुए पूजा खेडकर की ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर स्टेटस के लिए पात्रता सवालों के घेरे में है। दिलीप खेडकर ने वंचित बहुजन आघाड़ी के टिकट पर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। विजय कुंभार ने कहा कि ऐसी आय नॉन-क्रीमी लेयर में कैसे आ सकती है? उन्होंने (पूजा ने) मानसिक रूप से बीमार होने और कई तरह की दिव्यांगता से पीड़ित होने की बात स्वीकार की है, हालांकि पूजा ने कई बार मेडिकल जांच में शामिल होने में आनाकानी की है, वह IAS के लिए कैसे क्वालिफाई हैं, ये बड़े सवाल है।
प्रोबेशन के दौरान की ये मांग
पुणे में अपने प्रोबेशन के दौरान पूजा खेडकर ने कई विशेषाधिकारों की मांग की थी। इस दौरान पूजा खेडकर ने लाल-नीली बत्ती और VIP नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का इस्तेमाल किया, अपनी गाड़ी पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का बोर्ड लगाया और एक आधिकारिक कार, आवास, एक ऑफिस रूम और अतिरिक्त कर्मचारियों की मांग की। यहां तक कि उसने एडिशनल कलेक्टर की अनुपस्थिति में उनके चेंबर पर कब्जा कर लिया। डॉ. खेडकर के पिता रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी हैं, उन्होंने कथित तौर पर जिला कलेक्टर के कार्यालय पर पूजा की मांगों को पूरा करने के लिए दबाव डाला। इतना ही नहीं, उन्होंने धमकी भी दी कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो इसके लिए परिणाम भुगतने होंगे।
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पुणे से वाशिम ट्रांसफर हुआ
महाराष्ट्र सरकार ने सत्ता के दुरुपयोग की शिकायतों के कारण पूजा खेडकर को पुणे से वाशिम में ट्रांसफर स्थानांतरित कर दिया थाय़ यह कदम पुणे कलेक्टर डॉ. सुहास दिवासे द्वारा मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र के बाद उठाया गया था। पूजा खेडकर अब वाशिम में एडिशनल असिस्टेंट कलेक्टर बनाया गया है।
दादा-पिता अधिकारी रह चुके
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में उन्होंने अखिल भारतीय रैंक 841 हासिल की थी. खेडकर की मां अहमदनगर जिले के भालगांव की निर्वाचित सरपंच हैं. उनके पिता और दादा सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं। उन्हें पुणे में सहायक कलेक्टर के तौर पर पहली नियुक्ति मिली थी। आरोप है कि उनके पिता भी जिलाधिकारी पर उनकी बेटी को सुविधाएं देने के लिए दबाव बनाते थे।
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