स्पोर्ट्स डेस्क। भारत को 2011 में विश्व कप (World Cup 2011) चैम्पियन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पूर्व बल्लेबाज गौतम गंभीर (Gautam Gambhir) अपनी बेबाक बोल के लिए जाने जाते हैं. गंभीर फिलहार भारत (India) में जारी मौजूदा क्रिकेट विश्व कप (ICC Cricket World Cup 2023) में कमेंट्री करते हुए नजर आ रहे हैं. भारत को 2007 में टी20 विश्व कप (T20 World Cup 2011) का खिताब दिलाने वाला यह बल्लेबाज हमेशा पाकिस्तान (Pakistan) के बारे में अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते रहते हैं. कुछ समय पहले उन्होंने पाकिस्तान के मौजूदा कप्तान बाबर आजम (Babar Azam) की कप्तानी और बल्लेबाजी तकनीक की तारीफ की थी. लेकिन, हाल ही में बाएं हाथ के पूर्व बल्लेबाज गंभीर ने बाबर को अपनी कप्तानी और बल्लेबाजी की स्टाइल में बदलाव करने की सलाह दी है. Read More- WPL 2024 : फ्रेंचाइजी ने आगामी सत्र के लिए अपनी तैयारी शुरू की, सभी टीमों ने जारी की खिलाड़ियों की सूची
भजपा सांसद गंभीर ने कहा कि कि मुझे लगता है कि बाबर को अपने व्यक्तित्व, अपने खेल और महत्वपूर्ण रूप से, अपनी मानसिकता को बदलना होगा. पाकिस्तान में आक्रामक बल्लेबाजों का इतिहास रहा है फिर चाहे वो शाहिद अफरीदी (Shahid Afridi) हो, इमरान नजीर (Imran Nazir), सईद अनवर (Saeed Anwar) या आमिर सोहेल (Aamir Sohail) हो. मौजूदा टीम में शीर्ष-3 बल्लेबाज भी सभी एक जैसी बल्लेबाजी करते हैं. अगर किसी को जिम्मेदारी उठानी है, तो वह कप्तान होने चाहिए, जो नंबर-3 पर बल्लेबाजी करते हैं. उन्होंने कहा कि कि आंकड़ों को देखने का कोई मतलब नहीं है. आप पाकिस्तान के लिए सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी बन सकते हैं, लेकिन विरासत टूर्नामेंट जीतने से बनती है, व्यक्तिगत रिकॉर्ड से नहीं.
बता दें कि, वसीम अकरम (Wasim Akram) ने 1992 विश्व कप फाइनल में तीन विकेट लिए थे. उन्होंने पांच विकेट भी नहीं लिए थे लेकिन फिर भी हर कोई उनके बारे में बात करता है, क्योंकि उन्होंने विश्व कप जीता था. 2011 के फाइनल मैच में महेला जयवर्धने (Mahela Jayawardene) के शतक के बारे में कोई बात नहीं करता. सभी को सिर्फ भारतीय टीम का प्रदर्शन याद है, क्योंकि भारत ने विश्व कप जीता था. गंभीर ने रोहित शर्मा (Rohit Sharma) का उदाहरण देते हुए विस्तार में बताया कि टीम वैसे ही खेलती है जैसे कप्तान खेलता है. बाबर और रोहित दोनों ने अर्द्धशतक बनाए. एक ने 50 रन बनाए, दूसरे ने 80 रन बनाए. उनमें से किसी ने भी शतक नहीं बनाया, लेकिन इन दोनों में सिर्फ दृष्टिकोण का ही अंतर था. अगर पाकिस्तान 190 रनों का पीछा कर रहा होता तो उनकी मानसिकता सिर्फ मैच जीतने की होती, फिर चाहे वो उसे 35 ओवर में जीतते या 40 ओवर में. इसलिए कप्तान का जिम्मेदारी उठाना काफी महत्वपूर्ण है.
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